पूर्वी सिंहभूम: कश्मीर में काश्मीरी पंडितो पे पाकिस्तान प्रायोजित जिहादियों के द्वारा अत्याचार हुआ है इसमें कोई संदेह नही है. हज़ारो बेकसूर कश्मीरी पंडितों को मारा गया, लाखो कश्मीरी पंडित पलायन किए हैं. इस फ़िल्म में झूठे तत्थों को जोड़ कर भाजपा को फायदा पहुंचाने के प्रोपोगेंडा से कास्टिंग किया गया है. जिसमें कश्मीरी पंडितों की कहानी मनोवैज्ञानिक तौर से अन्य राजनीतिक दलों को नीचा दिखाने और भाजपा को हिन्दू और हिन्दू कश्मीरी पंडितो का हितैसी दिखाने की कोसिस की गई है.
इस फ़िल्म में काल्पनिक तौर से JNU के एक कश्मीरी पंडित छात्र की कहानी दिखाया जाता है. जो JNU में छात्र संघ में अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा होता है. वो अपनी दादाजी की अस्थियां कश्मीर में अपने घर मे प्रभावित करने जाता है और एक फिल्मी तरीके से उसको उसके पूरे परिवार को कश्मीर में मार दिए जाने का पता चलता है. जो अब तक उसके दादाजी ने उससे छुपा के रखा था, ये जो इस लड़के की कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है. बाद में JNU में जा के सबको काश्मीरी पंडितो की कहानी पहली बार बताता है. जो कि कभी JNU के इतिहास में हुआ ही नही है, और ऐसा कोई वहां का छात्र था ही नही कश्मीरी पंडित जो JNU के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रहा हो.
इस फ़िल्म में चुपके से भाजपा द्वारा 370 हटाने का भी मनोवैज्ञानिक तौर से प्रचार कर दिया पर ये सवाल नही कर पाया कि उन विस्थापित कश्मीरी पंडितों को उनका हक और उनका घर वापसी कश्मीर में कब होगा. Tha Kashmir Files मे बेकसूर कश्मीरी पंडितों की सच्ची कहानी के आड़ में राजनीतिक फायदे के लिए काल्पनिक चीज़ों को जोड़ कर पेस कर दिया गया है.
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