रांची : आदिवासी सेंगेल अभियान ने केंद्र सरकार से सरना धर्म कोड की मांग को आगामी 30 दिसंबर से पहले मान लेने की धमकी दी है. नहीं तो भारत बंद कर आदिवासी अपनी मांगों को लेकर रेल और सड़क जाम करने को मजबूर हो जाएंगे. रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में आदिवासियों के महाजुटान के दौरान आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि केंद्र सरकार के पास 2 महीने का समय है इस मांग को पूरा कर आदिवासियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया जा सकता है.
देश के विभिन्न राज्यों से मोरहाबादी पहुंचे आदिवासी..
सरना धर्म कोड को लेकर आयोजित जनसभा में ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ सहित देश के विभिन्न राज्यों से आदिवासी मोरहाबादी मैदान पहुंचे हैं. ओडिशा से आए नरेंद्र हेंब्रम कहते हैं कि यह लंबे वक़्त से मांग चल रही है. आदिवासी समाज प्रकृति पूजक धर्म है. प्रकृति यह पुजारी यदि सरना धर्म की मांग करता है तो इसमें विलम्ब क्यों की जा रही है. पश्चिम बंगाल से आए प्रतिनिधि मानस दा का मानना है. कि सरना धर्म कोड देने से हमारी पहचान और बढ़ेगी हम सरकार से मांग करते हैं कि देश में रहने वाले आदिवासियों को धर्म कोड देकर इस जनगणना में शामिल किया जाए.
केंद्र के पाले में है सरना धर्म कोड..
सरना आदिवासी धर्म कोड को लेकर लंबे वक़्त से राजनीति भी होती रही है. हेमंत सोरेन की सरकार ने अपने चुनावी वादों को पूरा करने के उद्देश्य से सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव 11 नवंबर 2020 को झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर पारित कराया था. और उसे केंद्र सरकार से 2021 के जनगणना संशोधन करने की मांग की गई, पिछले दिनों CM हेमंत सोरेन के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सरना धर्म कोड को लेकर ध्यान अनुरक्त कराया गया था. स्पष्ट रूप से चुनावी वर्ष में इस आंदोलन के जरिए बड़ा मैसेज देने की प्रयास आदिवासी सेंगेल अभियान ने किया है, अब देखना होगा कि 30 दिसंबर तक के अल्टीमेटम पर केंद्र सरकार क्या रुख लेती है.
Average Rating