Social Media Impact on Mental Health : आज के ज़माने में शारीरिक समस्याओं जितनी ही परेशानी लोगों को मानसिक दिक्कतों से हो रही है। डिप्रेशन, एंग्ज़ायटी और मूड स्विंग्स से दुनिया में करोड़ों लोग जूझ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से ये समस्या ज्यादा बढ़ी है या फिर यूं कहें, जबसे इंटरनेट का कब्ज़ा हमारी ज़िंदगी पर बढ़ा है, तब से मानसिक स्वास्थ्य (Social Media Triggers Anxiety) बड़ी समस्या बन गया है।
आपको बता दे की हाल में ब्रिटेन की बाथ यूनिवर्सिटी (University of Bath) में इससे जुड़ी एक स्टडी की गई है। स्टडी की लीड रही डॉक्टर जेफ लैंबर्ट (Dr. Jeff Lambert) ने बताया है कि ज़िंदगी में सोशल मीडिया का दखल कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। और यही हमारे डिप्रेशन और चिंता की अहम वजह है। ऐसे में अगर हफ्ते भर भी इससे छुट्टी ले ली जाए, तो मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) में बड़ा लाभ हो सकता है।
डॉक्टर जेफ लैंबर्ट स्टडी के अनुसार लोग हर हफ्ते घंटों सोशल मीडिया पर बिताते हैं। उन्हें फोन में स्क्रॉल कर-करके देखने में मज़ा तो आता है, लेकिन इसका नकारात्मक प्रभाव कुछ यूं पड़ता है कि वे डिप्रेस हो जाते हैं। इस स्टडी में कुल 154 लोग शामिल किए गए, जिनकी उम्र 18 से 72 साल के बीच थी। इनमें से एक ग्रुप को सोशल मीडिया जैसे- इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर और टिकटॉक से हफ्ते भर दूर रखा गया, जबकि दूसरे ग्रुप के लोगों ने हफ्ते में 8 घंटे इसे इस्तेमाल किया। जब उनसे हफ्ते भर बाद फीडबैक (Feedback) लिया गया तो सोशल मीडिया से दूर रहने वाले लोग ज्यादा आशावादी और स्वस्थ दिखाई दिए।
कम हुई चिंता और डिप्रेशन
डेली मेल की रिपोर्ट केअनुसार स्टडी में इन लोगों ने आशावाद और छोटी-छोटी खुशियों के लेकर सवाल किए गए। जनरल एंग्ज़ाइटी डिसऑर्डर स्केल (General Anxiety Disorder Scale) पर सोशल मीडिया से दूर रहे लोगों को 46-55.93 तक पाया गया। जबकि उनका डिप्रेशन भी 7.46 से 4.84 तक कम हुआ, वहीं एंग्ज़ायटी 6.92 से 5.94 तक पहुंची। ज्यादातर लोगों ने इस प्रयोग के सकारात्मक रिजल्ट बताए। इस स्टडी में साफ हुआ कि सोशल मीडिया डिप्रेशन, चिंता और मानसिक स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव डालता है। ऐसे में अगर हफ्ते भर का ब्रेक डॉक्टर की सलाह की तरह अपनाया जाए, तो इससे काफी लाभ हो सकता है.
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