Ranchi: झारखंड की राजधानी रांची में पिछले शुक्रवार को हुई हिंसा को लेकर पुलिसिया राजनीति का शिकार हो गई. खासकर राज्यपाल के आदेश के बाद राजधानी में लगाये गये पोस्टर और कुछ मिनटों में उस पोस्टर को हटाने के मामले पर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने है. इसी कड़ी में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बड़ा बयान दिया है. ठाकुर ने कहा कि रांची हिंसा दुखद रहा. हमारा प्रयास पहले शांति व्यवस्था बरकरार रखना है. राजेश ठाकुर ने कहा कि राज्यपाल (Governor) के सुझाव पर तत्काल एक्शन ठीक नहीं था. यहां कोई राष्ट्रपति शासन नहीं है जो राज्यपाल के आदेश का तुरंत एक्शन हो. यहां पर एक चुनी हुई सरकार है.सरकार ने पूरे घटनाक्रम के लिए दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. रिपोर्ट आने का इंतजार करना चाहिए था.
इधर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के वित्त मंत्री डा रामेश्वर उरांव ने अपने पुलिस सेवा के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि जहां तक भीड़ पर गोली चलाने का मामला है तो कभी-कभी पुलिस समय के परिस्थिति और हालात के आकलन के बाद ही ऐसा कदम कदम उठाती है. वे बातें पुलिस मैनुअल और किताबों में लिखी नहीं होती है. उपद्रवियों के पोस्टर लगाए जाने के सवाल पर रामेश्वर उरांव ने कहा कि यह मामला राइट टू प्राइवेसी एक्ट (right to privacy act) का बनता है लिहाजा पुलिस प्रशासन ने पोस्टर नहीं लगाया.
वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मेन रोड स्थित हनुमान मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की और वहां के पुरोहितों से घटना की पूरी जानकारी ली. रघुवर दास ने कहा कि यह एक तरह से टेरर फंडिंग का भी मामला है और इसकी जांच SIT गठित कर कराना सिर्फ आंख में धूल झोंकने जैसा है. जबतक इस पूरे मामले की सेंट्रल एजेंसी से जांच नहीं होगी तब तक मामले की तह तक नहीं पहुंचा जा सकता. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन सरकार के दबाव में काम कर रही है. राज्यपाल ने पुलिस प्रशासन को दोषियों का पोस्टर शहर के चौक-चौराहे पर चिपकाने का आदेश दिया. पुलिस प्रशासन ने पोस्टर चिपकाया भी लेकिन पांच मिनट के भीतर पोस्टर को हटा दिया गया. रघुवर दास ने कहा कि यह पुलिस मैनुअल में भी है कि इसी बड़े घटना में शामिल अपराधियों का पोस्टर शहर के चौक-चौराहे पर चिपकाये जायें. आखिर किसके आदेश पर पोस्टर को हटाया गया ये जांच का विषय है.
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