Mining Lease Allotment Case: सीएम सोरेन को खनन पट्टा आवंटन मामले में 17 मई को स्पेशल बेंच करेगी सुनवाई

jharkhandtimes

Special bench will hear on May 17 in the mining lease allocation case to CM Soren
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Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) में सीएम हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) के खनन पट्टा आवंटन मामले (Mining Lease Allotment Case) की CBI से जांच कराने को लेकर दायर जनहित याचिका पर आज शुक्रवार को सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई की गयी. अब 17 मई को विशेष पीठ (Special Bench) इस मामले की सुनवाई करेगी. वहीं, सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन और झारखंड सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता मुकुल ने पक्ष रखना शुरू किया. बाद में अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अगली तिथि निर्धारित कर दी.

इस पहले CM सोरेन ने खनन पट्टा आवंटन मामले में झारखंड हाई कोर्ट से जारी नोटिस के आलोक में अपना जवाब पेश किया था. CM की तरफ से उनके निजी अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने हाईकोर्ट में जवाब पेश किया. इसमें वकील ने कहा कि CM के खिलाफ जो जनहित याचिका दायर की गई है, उसकी प्रकृति जनहित की नहीं है. यह याचिका हाई कोर्ट पीआईएल रूल के अनुरूप नहीं है. अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि नियम के मुताबिक याचिकाकर्ता को अपनी क्रेडेंशियल डिस्क्लोज करनी चाहिए थी. लेकिन इस याचिका को दाखिल करने वाले व्यक्ति ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने अपने मुवक्किल की तरफ से याचिकाकर्ता पर यह भी आरोप लगाया कि जानबूझकर बार-बार उनके क्लाइंट के परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए ऐसा काम किया जा रहा है. सरकार को अस्थिर करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने अपने जवाब में कोर्ट को यह जानकारी दी है कि BJP ने जो आरोप इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया (Election Commission of India) के पास लगाया है. वह सभी आरोप इस जनहित याचिका में भी लगाए गए हैं.

अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने आगे कहा कि इससे साफ है कि यह स्वतंत्र याचिका नहीं है. जिससे साफ होता है कि सरकार को अस्थिर करने के लिए यह साजिश रची जा रही है. उन्होंने कहा कि उनके पक्ष को भारत निर्वाचन आयोग की तरफ से नोटिस जारी किया गया है. अब वे वहां पर अपना पक्ष रखेंगे. एक ही आरोप में दो जगह केस चल रहा है. यह भी उचित नहीं है. उन्होंने जवाब के माध्यम से कोर्ट को यह भी जानकारी दी कि CM सोरेन के पिता और पूर्व CM शिबू सोरेन (Shibu Soren) पर जो हत्या का आरोप लगा था. जिसमें उन्हें सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने बाइज्जत बरी कर दिया है. उस मामले में याचिकाकर्ता के पिता मुख्य गवाह थे. इससे साफ होता है कि यह बार-बार उनके परिवार की प्रतिष्ठा धूमिल करना चाहते हैं. इसलिए इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए.

आप को बता दें कि सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गई थी. प्रार्थी शिवशंकर शर्मा की तरफ से वकील राजीव कुमार ने PIL दाखिल की है. प्रार्थी की तरफ से इस जनहित याचिका में कहा गया था कि हेमंत सोरेन, खनन मंत्री, CM और वन पर्यावरण विभाग के विभागीय मंत्री भी हैं. उन्होंने स्वयं पर्यावरण क्लीयरेंस दिया और खनन पट्टा हासिल कर लिया. ऐसा करना पद का दुरुपयोग है और जन प्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए इस पूरे केस की CBI से जांच कराई जाए. साथ ही प्रार्थी ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी अदालत से की थी.

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