Jharkhand News: झारखंड के गुमला जिला के चैनपुर प्रखंड अंतर्गत आरसी मध्य विद्यालय से एक मामला सामने आया है .जानकारी के अनुसार, मासूम बच्चे कलम कॉपी लेकर विद्यालय पढ़ने के लिए गए थे, किंतु वहां के शिक्षक उनसे बाल मजदूरी करवा रहे हैं। यहां मासूम बच्चों से शिक्षकों के द्वारा कुणाल, ईंट, बालू, मिट्टी, ढुलाई कर पेशेवर मजदूरों की तरह मजदूरी करवाई जा रही हैं।
बताया जा रहा है कि यहां पर नया विद्यालय भवन का निर्माण हो रहा है। साथ ही जल मीनार निर्माण का भी कार्य चल रहा है। लेकिन, काम के लिए मजदूरों को ना बुलाकर यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं से मजदूरी कराई जा रही है। बताया जा रहा है कि मजदूरी नहीं देनी पड़े इसके लिए विद्यालय के शिक्षकों ने इन बच्चों को पढ़ाई कराने के बजाय ईंट-बालू व मिट्टी ढोने के काम पर लगा दिया है।
दरअसल, छात्र-छात्राओं के अभिभावकों का कहना है कि वे अपने बच्चों को स्कूल पढ़ने के लिए भेजते हैं क्योंकि उनका भविष्य उज्जवल हो सके। जबकि, स्कूल में उनसे मजदूरी कराई जा रही है। कलम थामने की उम्र में बच्चों के हाथों में स्कूल प्रबंधक ने कुदाल थमा दी है। अभिभावकों ने कहा कि बच्चे पढ़-लिखकर काबिल बने इसके लिए हम कठोर परिश्रम करते हैं और बच्चों को स्कूल भेजते हैं. लेकिन, हमारे बच्चे स्कूल जाकर शिक्षा पाने की जगह मजदूरी का काम कर रहे हैं। यह काफी दुर्भाग्य की बात है।
वहीं, स्कूल में मजदूरी कर रहे बच्चों से पूछा गया कि आप स्कूल पढ़ने आते हैं यहां मजदूरी का काम क्यों कर रहे हैं, तो उन बच्चों ने बताया कि सिस्टर ग्लोरिया के कहने पर हम यहां मजदूरी का काम कर रहे हैं। बच्चों ने बताया कि सुबह विद्यालय आने के कुछ देर बाद से ही हमें मजदूरी का काम कराया जा रहा है। आए दिन शिक्षकों के द्वारा हमसे इस तरह का काम कराया जाता है।
इधर विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने भी सवाल पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया। उन्होंने कैमरे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। वहीं, विद्यालय के सहायक शिक्षक सुबोध लकड़ा ने कहा कि बच्चों से टिफिन के टाइम में काम कराया जाता है।
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