भारत में पहली बार LITHIUM के भंडार बड़े भंडार का पता चला है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने यह जानकारी दी। जियोलॉजिकल सर्वे ने बताया है कि ऐसा पहली बार है, जब देश में इतनी बड़ी तादाद में थियम मेटल का भंडार मिला है। जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 5.9 मिलियन टन लिथियम के अनुमानित भंडार की खोज की गयी है।
वहीं, बता दें कि भारत लीथियम मेटल समेत प्रमुख खनिजों की सप्लाई चेन को मजबूत करने की कोशिश में जुटा हुआ है। खान मंत्रालय ने कहा था कि उभरती तकनीकों के लिए महत्वपूर्ण खनिज सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए सरकार Australia और Argentina से लिथियम सहित खनिजों को सुरक्षित करने के लिए कई सक्रिय उपाय कर रही है। वर्तमान में, भारत लिथियम, निकल और कोबाल्ट जैसे कई खनिजों के लिए आयात पर निर्भर है।
मुख्य रूप से लिथियम को सेरामिक और कांच के उत्पादों, ग्रीस, फार्मास्युटिकल कंपाउंड, एयर कंडीशनर और एल्यूमीनियम उत्पादन में उपयोग किया जाता है। सबसे कम घनत्व वाली धातु होने के कारण प्रति किलोग्राम उच्चतम ऊर्जा भंडारण क्षमता के लिए लिथियम बैटरी के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण घटक माना जाता है। दुनिया का आधे से अधिक लिथियम Australia से आता है, जो क्ले डिपाजिट के रूप में सोइल्ड मिनरल रॉक में पाया जाता है। चिली, Argentina और बोलिविया को ‘लिथियम ट्रायंगल’ के रूप में जाना जाता है।
दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम जमा सालार डी उयूनी, बोलिविया में है, जहां वर्तमान में सरकारी नियमों के कारण खनन प्रतिबंधित है। हालांकि लिथियम सीमित है, Scientists ने पता लगाया है कि महासागरों में 180 बिलियन टन धातु का अत्यधिक पतला रूप मौजूद है।
एक टेस्ला कार 600 किलो लिथियम-आयन बैटरी पर काम कर सकती है। वही, लेड-एसिड बैटरी पर निर्भर करे, तो उसे 4000 किलोग्राम की आवश्यकता होगी।
लेड-एसिड के विपरीत, लिथियम-आयन बैटरी को बिना किसी विफलता के लगभग 10% क्षमता तक डिस्चार्ज किया जा सकता है, और हजारों बार रिचार्ज किया जा सकता है।
कश्मीर में 59 लाख टन भंडार मिलने से भारत 3 नंबर पर आ चुका है। वहीं चीन 20 लाख टन भंडार के साथ 5 नंबर पर है। भारत के पड़ोसी देश चीन ने 2030 तक 40 फीसदी इलेक्ट्रिक कारों का लक्ष्य तय किया है। दुनियाभर में इस्तेमाल होने वाली हर 10 लीथियम बैटरी में से 4 का इस्तेमाल चीन में किया जाता है।
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