नई नियोजन नीति का फिर हो रहा विरोध, 10 मार्च को ट्वीटर पर चलेगा महाअभियान

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Jharkhand News: युवाओं से राय लेकर बनायी गयी नई नियोजन नीति का विभिन्न जिलों में युवा ही विरोध करना शुरू कर दिया है. युवाओं ने मुखर हो कर कहा कि यह नियोजन नीति नहीं बल्कि छलावा है. पहले झारखंड के युवाओं के लिए नौकरी सुनिश्चित करने के लिए नियोजन नीति बनाने की बात कही, अब वो सारी शर्तें हटा दी गयी हैं जो राज्य की नौकरियों में यहां के युवाओं की सीट सुरक्षित करती थी. ऐसे में विरोध करना जरूरी हो गया है। सरकार के खिलाफ राज्य के विभिन्न जिलों के युवा कल ट्विटर पर अभियान चलाएंगे. इसका ग्राउंड तैयार कर लिया गया है.

दरअसल, प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं ने कहा कि जिस नियोजन नीति को सरकार युवाओं की राय पर तैयार नियोजन नीति बता रही है, वह उचित नहीं है. इस नियोजन नीति में ऐसी एक भी बात नहीं है, जो राज्य के युवाओं को राज्य में नौकरी सुनिश्चित करता हो। नयी नियोजन नीति में राज्य से 10वीं-12वीं की पढ़ाई राज्य के संस्थान से किया हो, उसे हटा दिया है. वहीं क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा की जानकारी की अनिवार्यता भी हटा दिया। ऐसे में दूसरे राज्य के स्टूडेंट्स की एंट्री होगी. सरकार ने भाषा के पेपर में हिंदी, अंग्रेजी के साथ संस्कृत को भी जोड़ दिया है.

आपको बता दें की नई नियोजन नीति में 40 फीसदी सीटों को ओपन फोर ऑल कर दिया गया है. युवाओं को इसकी जानकारी मिलने के बाद राज्‍यभर से विरोध के स्‍वर उठने लगे हैं. राज्य के विभिन्‍न जिलों से विरोध के स्वर अलग-अलग रूप में देखने को मिल रहे हैं। युवाओं का कहना है कि आरक्षण की वजह से एक तो सीटें कम हो गई हैं। अब 40 फीसदी सीट में भी ओपन फोर ऑल कर दिया गया है तो इसमें भी बाहरी छात्रों की भागीदारी बढ़ेगी. राज्य के आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को तो फिर भी ठीक है, पर अनारक्षित श्रेणी के लिए अवसर कम होना है.

नियोजन नीति को लेकर विरोध होने लगा है। युवाओं ने पलाश के फूल से 40 फीसदी का विरोध किया। युवाओं ने 60:40 नाय चलतो कहा है। इसके साथ ही युवा कल 10 मार्च ट्विटर महाअभियान चलाया जा रहा है। सभी युवाओं से इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्‍सा लेने की अपील की गई है.

वहीं, CM हेमंत सोरेन की सरकार ने जिस नियोजन नीति को कैबिनेट से मंजूरी दी है, उसमें झारखंड के संस्थान से 10वीं-12वीं करने की योग्यता खत्म कर दी गयी है. इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है. वहीं भाषा के पेपर में हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत जोड़ा गया है। इस तरह से क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा पेपर में 15 भाषा होगा.

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