झारखंड में बिजली आपूर्ति अब भी दूर, 10% भी नहीं हुआ अंडरग्राउंड केबलिंग का काम

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Jharkhand News: झारखंड में निर्बाध बिजली आपूर्ति अब भी दूर की कौड़ी नजर आ रही है। क्योंकि, अब तक तय लक्ष्य के अनुसार प्रमुख शहरों में अंडग्राउंड केबलिंग का काम पूरा नहीं हुआ है। वर्ष 2016 से शुरू हुई आरएपीडीआरपी योजना (RAPDRP Scheme) के तहत राज्य के शहरी इलाकों में 5000 सर्किट किमी अंडरग्राउंड केबलिंग की जरूरत बतायी गयी थी। लेकिन, अब तक केवल 375 सर्किट किमी ही अंडरग्राउंड केबलिंग हो पायी है। जबकि, योजना पर अब तक 1151 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। हालांकि, इसमें अंडरग्राउंड केबलिंग के अलावा तार व ट्रांसफॉर्मर बदलने और पावर सब स्टेशन के निर्माण का खर्च भी शामिल है।

दरअसल, झारखंड की भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से खासकर बारिश और आंधी-तूफान के दौरान अक्सर बिजली के तार टूटने, खंभों के गिरने, तार पर पेड़ व पेड़ की डालियां गिरने की घटनाएं होती रहती हैं। ऐसी घटनाओं से कई बार 11 केवी लाइन और 33 केवी लाइन क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिससे 2-2 दिन तक बिजली आपूर्ति बंद हो जाती है। वहीं, अक्सर जुलूस आदि के दौरान तार टूटने की घटनाएं भी हो जाती हैं, जिससे बड़े हादसे हो जाते हैं।

हालाकिं, पलामू में ऐसा हो चुका है. इन्हीं समस्याओं से निजात पाने के लिए झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) ने ऐसे सभी लाइनों की अंडरग्राउंड केबलिंग की योजना बनायी थी। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से ‘बिजली सुधार कार्यक्रम’ लाया गया। पहले चरण में राज्य के शहरों में अंडरग्राउंड केबलिंग की योजना बनायी गयी। इसके तहत सभी शहरों से उनकी जरूरत के हिसाब से अंडरग्राउंड केबलिंग की योजना मंगायी गयी थी।

राज्य सरकार ने सबसे पहले राजधानी रांची में 1000 किमी अंडरग्राउंड केबलिंग की योजना बनायी। इसके तहत पहले चरण में 33 केवी लाइन व 11 केवी लाइन को अंडरग्राउंड किया जाना है। हालांकि, अब तक यहां हरमू और सर्कुलर रोड समेत अन्य इलाकों को मिला कर कुल 118 किमी ही अंडरग्राउंड केबलिंग हो पायी है। रातू रोड और मेन रोड जैसे व्यस्तम इलाके में अंडरग्राउंड केबलिंग का काम अब भी बाकी है।

वहीं, रांची में विद्युत सुधार कार्यक्रम के तहत 410 करोड़ रुपये खर्च भी किये जा चुके हैं। हालांकि, इस राशि से 2000 नये ट्रांसफारमर भी बदले गये. जबकि 10 नये पावर सब स्टेशन भी बनाये गये। उधर, राज्य के अन्य शहरों में कहीं 50 किमी तो कहीं 5 किमी ही अंडरग्राउंड केबलिंग हो पायी है।

 

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