नई दिल्ली. शीर्ष अदालत ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर आरोप लगया गया था कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति भारत के संविधान के कई प्रावधानों का उल्लंघन है. जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि चुनाव के बाद गठबंधन को दलबदल विरोधी कानून और संविधान की 10वीं अनुसूची द्वारा कुछ शर्तों के अधीन अनुमति दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘दलबदल विरोधी कानून और संविधान की 10वीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत और कुछ शर्तों के अधीन गठबंधन की अनुमति दी गई है. ऐसे में दायर की गई याचिका को खारिज किया जाता है.’
दरअसल, दायर की गई याचिका में बिहार के सीएम को इस आधार पर हटाने की मांग की गई थी कि उन्होंने इस वर्ष अगस्त में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ चुनाव के बाद गठबंधन करके मतदाताओं के साथ धोखाधड़ी की है. मालूम हो कि साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सात गठबंधन कर चुनाव जीता. हालांकि इस साल अगस्त में (JDU) ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ कर अपने पूर्व सहयोगी राजद के साथ गठबंधन कर सरकार बना लिया.
वहीं, चंदन कुमार नाम के एक व्यक्ति ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर कहा था कि महागठबंधन के साथ नीतीश कुमार और उनकी राजनीतिक पार्टी जदयू द्वारा चुनाव के बाद गठबंधन और गठबंधन के मतदाताओं के साथ एक धोखाधड़ी है. याचिकाकर्ता ने इस मामले में संसद को उचित कानून बनाने की मांग भी की.
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