Bihar News :पटना के गांव में कुआं और बरगद के पेड़ में हुई शादी, जानिए इस अनोखी शादी की पीछे की मान्यता

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Marriage took place in a well and a banyan tree in the village of Patna
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Patna :इंसानों की शादी तो आम बात है, लेकिन जब बात पेड़ों और कुंओं की शादी की हो तो हैरानी होना स्वाभाविक है. बिहार के पटना से सटे धनरूआ में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. यहां बरगद के पेड़ और कुआं की शादी हुई और धूमधाम से बारात निकली और इसमें हिन्दू रिति-रिवाज से शादी की सभी रस्में पूरे विधि विधान से की जाती है. कहा जाता है कि गांव में आज भी कुंवारे कुआं का पानी वर्जित माना जाता है, इसलिए उस कुएं की शादी बरगद के पेड़ से की जाती है. तभी कुआं का पानी शुद्ध माना जाता है. हर देवी-देवता और अन्य शुभ कार्य में उस जल का इस्तेमाल किया जाता है. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक तर्क की कसौटी पर इसकी कई मायने हैं.

माना जाता है कि बरगद पेड़ लंबे वक्त तक जीने वाले पेड़ है. वहीं, कुआं प्रकृति की पटरानी है. महिलाएं वटवृक्ष के समक्ष पूजा करके अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. कुआं इंद्र के सबसे करीब माना जाता है. मान्यता यह भी है कि जब तक बरगद की शादी नहीं होती है. प्रकृति की ये दो पालनहार जब तक आपस मे परिणय मे नहीं बधते हैं तब तक प्रकृति का संतुलन और जलस्रोत का सरंक्षण नहीं हो पाता है. गौरतलब है कि गांव में पूरे विधि-विधान और हिंदू रीति रिवाज के साथ ढिढारी और सिंदूरदान के साथ ये शादी कराई गई है. जिस तरह से विवाह के लिए पहले विवाहित जोड़े को बैठाया जाता है उसी तरह से गांव के संतोष कुमार और सुनीता कुमारी को पहले बैठाया गया उसके बाद बरगद के पेड़ के बीच से दोनों परिणय सूत्र में बांधे गए. वर के रूप संतोष कुमार और उनकी पत्नी सुनीता कुमारी को बैठाया गया. महिलाएं विवाह गीत गाकर सिंदूरदान की रस्में पूरी की. उसके बाद विदाई का ऐसा पल आया कि पूरा माहौल भक्तिमय हो गया. विदाई के समय लोगों के आंसू छलका उठे. गठबंधन के समय ऐसा प्रतीत हुआ कि प्रकृति की दो पालनहार आपस में मिलने को आतुर हैं. करीब ढाई घंटे तक विवाह की रस्म हुई.

बताया जाता है कि गांव में आज भी कुंवारे कुएं का पानी इस्तेमाल करना खराब माना जाता है, अलग-अलग पूजन, शुभ काम में देवताओं को खुश करने के लिए विवाहित कुआं से ही पानी लेना होता है. ऐसे में मानसून (Monsoon) से पहले ही कुआं और बरगद के पेड़ की विवाह की जाती है. यह दो प्रकृति के पालनहार प्रकृति को आपस में संजो कर रखते हैं. जल संरक्षण और मानसून से पहले अच्छी बारिश को लेकर पूजा की जाती है. वहीं, इस मौके पर बरगद के बड़े भाई के रूप में ओम प्रकाश तथा कुआं के बड़े भाई के रूप में बृजेश कुमार ने शामिन हुए, पंडित राम आशीष शर्मा ने पूरे विधि-विधान से इस अनोखी शादी को संपन्न करवाया. पूरे कार्यक्रम में पंकज कुमार, राकेश कुमार, अंकित, शालिनी देवी आदि शामिल हुए.

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