झारखंड लोक सेवा आयोग यानी जेपीएससी (JPSC) ने गज़ब ही कर दिया. जेपीएससी द्वारा कराई गई पहली उप समाहर्ता प्रतियोगिता परीक्षा का रिजल्ट शनिवार को जारी किया गया. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह रिजल्ट जेपीएससी ने पूरे 18 साल बाद जारी किया है.आपको बता दें कि इस पद के लिए विज्ञापन 2005 में ही निकाले गये थे.
क्या है पूरा मामला जानते है
जेपीएससी (JPSC) ने पहली उप समाहर्ता प्रतियोगिता परीक्षा के लिए 2005 में विज्ञापन निकले गए थे. उसमे कुल 50 सीटों के लिए परीक्षा भी कराई गई थी. पहली उप समाहर्ता भर्ती के लिए 13 अप्रैल 2006 को परीक्षा हुई थी, इसमें 8254 उम्मीदवार शामिल हुए थे. इस परीक्षा में अनियमितता को लेकर विवाद खड़ा हुआ, फिर यह केस हाईकोर्ट में पहुंच गया. इस बीच तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने परीक्षा के निगरानी जांच का आदेश दिया था. जांच रिपोर्ट के आधार पर 12 जून 2013 को यह परीक्षा रद्द कर दी गई थी. इसके बाद सरकार की पहल पर आयोग ने 19 अक्टूबर 2015 को फिर से परीक्षा लेने की सूचना जारी की. जेपीएससी (JPSC) ने पहले 23 और 29 दिसंबर 2019 को परीक्षा डेट तय की गई. किन्तु उम्मीदवार के अनुरोध पर इसे 3 जनवरी 2020 किया गया था। 3 जनवरी 2020 को एग्जामिनेशन ली गई. परीक्षा के आधार पर 10 जनवरी 2020 को आंसर की जारी की गई, लेकिन परीक्षार्थियों के दावे के बाद JPSC ने 24 दिसंबर 2020 को संशोधित आंसर की जारी किया. जिसके इतने समय बाद अब कल यानी शनिवार को रिजल्ट जारी किया गया है।
वहीं स्टेट टॉपर बनें राजेश कुमार
इस भर्ती को लेकर शनिवार को जारी किए गए रिजल्ट में राजेश कुमार स्टेट टॉपर बने हैं. जबकि मनोज कुमार 2nd और मुकेश कुमार थर्ड टॉपर हैं। इसमें कुल 50 अभ्यर्थियों को सिलेक्टेड किया गया है.
लेकिन सवाल यह उठता है कि ऐसी सिस्टम का जिम्मेदार कौन है ? रिजल्ट आखिर 18 साल लेट कैसे हो सकते हैं और क्या कारण है ? यह स्थिति सबके मन में ऐसे अनगिनत सवाल पैदा कर रहा है. आखिर राज्य का फ्यूचर क्या है ?.
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