Jharkhand News: झारखंड में अब पानी में डूबने से होने वाली मौतों पर आश्रितों को 4 लाख रुपए का मुआवजा मिलेगा. राज्य सरकार ने नाव दुर्घटना, नदी, डोभा और जलप्रपात में डूबने की घटना के स्थान पर अब संकल्प पत्र में पानी में डूबने को विशेष स्थानीय आपदा में शामिल कर लिया है. इससे अब कुआं, तालाब या नाले में डूबने पर भी आश्रित को मुआवजा मिलेगा. पहले यह स्थानीय आपदा की सूची में शामिल नहीं था.
दरअसल, मुआवजे की राशि केंद्रीय गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन प्रभाग द्वारा 10 अक्टूबर 2022 को जारी मापदंड की संशोधित सूची के मुताबिक दी जाएगी. हालांकि पानी में कूदकर आत्महत्या करने के मामले में यह लागू नहीं होगा. ऐसे लोगों के आश्रितों को किसी प्रकार का मुआवजा नहीं दिया जाएगा.
आपको बता दें की राज्य सरकार ने 25 अक्टूबर 2018 काे स्थानीय आपदा से हाेने वाली माैताें पर मुआवजा देने का प्रावधान किया था. स्थानीय आपदा की श्रेणी में अतिवृष्टि, सर्पदंश, खनन जनित आपदा, रेडिएशन, नाव हादसा, नदी, डाेभा, डैम और वाटर फाॅल में डूबने, भगदड़ और गैस रिसाव से हुए जान-माल की क्षति काे शामिल किया था. अब कुआं-तालाब में डूबने से होने वाली मौतों को भी इसमें शामिल कर लिया गया है.
बता दें की पड़ोसी राज्य बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में यह व्यवस्था पहले से लागू है. करीब 7 माह पहले झारखंड में इसकी तैयारी शुरू हुई थी. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता (Health Minister Banna Gupta) ने कहा था कि आपदा प्रबंधन विभाग ने इन राज्यों से उनके यहां लागू प्रावधानों की जानकारी मांगी है. वहां से दस्तावेज मिलने के बाद उन राज्यों की व्यवस्थाओं की समीक्षा की गई. फिर सरकार ने यह फैसला लिया.
झारखंड में बड़ी संख्या में नदी-नाले, झील, तालाब, बांध, डैम और पाेखर आदि हैं. यही मुख्य पर्यटन स्थल भी है. झारखंड ही नहीं, दूसरे राज्याें के लाेग भी यहां डैम और वाटर फाॅल आदि में घूमने आते हैं. एक अनुमान के मुताबिक राज्य गठन के बाद से अब तक करीब 10 हजार लाेगाें की डूबने से माैत हाे चुकी है. हर साल मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. इसी को देखते हुए मुआवजे की लंबे वक्त से मांग उठ रही थी.
हालाकिं, पानी में डूबकर मौत होने पर आश्रितों को मुआवजे के लिए आवेदन देना होगा. इसके बाद संबंधित जिले के DC घटना की प्रशासनिक जांच कराएंगे. इसके बाद मृत्यु प्रमाण पत्र, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, FIR और प्रशासनिक जांच रिपोर्ट के आधार पर जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार मुआवजा राशि के भुगतान पर फैसला लेगा.
वहीं, अब तक कुएं या अन्य जलाशयों में डूबने से होने वाली मौतों के बाद जिला प्रशासन आपदा प्रबंधन विभाग से मुआवजा देने को लेकर मार्गदर्शन मांगता था. लेकिन अब इस संशय को दूर कर दिया गया है. विभाग ने आत्महत्या को छोड़कर पानी में डूबने से हुई हर मौत पर मुआवजा देने का संकल्प जारी कर दिया है. मुआवजे के लिए आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से हर जिले के लिए राशि आवंटित रहती है. डीसी अपने स्तर से ही मुआवजा देते हैं। इसके बाद विभाग को भुगतान की विस्तृत जानकारी दी जाती है.
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