RANCHI: दिल्ली गए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) ने नीति आयोग की 7वीं गवर्निंग काउंसिल बैठक (7th Governing Council Meeting) में भाग लिया. CM सोरेन ने केंद्र सरकार से GST के चलते झारखंड को नुकसान की चिंताओं को साझा किया है. नीति आयोग की बैठक में CM सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से झारखंड के हितों की रक्षा के लिये मदद की गुहार लगायी है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड के खनिज और वन संपदाओं का देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. राज्य में करीब 30 प्रतिशत वनभूमि क्षेत्र है. नयी नियमावली में वनभूमि अपयोजन के लिये स्टेज टू क्लियरेंस के पहले ग्रामसभा की सहमति का प्रावधान खत्म कर दिया गया है जो ठीक नहीं है. झारखंड के आदिवासी और मूलवासी ने हमेशा ठगा हुआ महसूस किया है. खनिज संपदा के उत्खनन से प्राप्त आय का अधिकाधिक हिस्सा झारखंड जैसे राज्य को प्राप्त होना चाहिये. लेकिन पिछले कुछ सालों में जो नीतिगत बदलाव हुए हैं वो ठीक इसके विपरीत साबित हुए हैं. GST से झारखंड को काफी घाटा हुआ है. इसकी भरपाई करने का प्रयास ढंग से नहीं किया गया है. अलग-अलग खनन कंपनियों के भू-अर्जन, रॉयल्टी आदि मद में करीब 1 लाख 36 हजार करोड़ रू बकाया है. परंतु कंपनियां इसके भुगतान में रुचि नहीं दिखा रही है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि झारखंड को कोयला कंपनियों द्वारा Ad Velorem के आधार पर रॉयल्टी का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जिससे झारखंड को हजारों करोड़ की रकम से वंचित होना पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि कोयला मंत्रालय द्वारा इस प्रावधान को समाप्त करने की तैयारी की जा रही है जो झारखंड जैसे राज्य के साथ अन्याय होगा. CM सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस दिशा में सकारात्मक पहल करने का आग्रह किया है. वहीं, CM सोरेन कहा कि ढाई सालों में राज्य ने आर्थिक, सामाजिक विकास एवं सामाजिक न्याय के क्षेत्र में कई कदम उठाये हैं. इसे और बल देने हेतु Cooperative Federalism की अवधारणा के तहत केंद्र सरकार का सहयोग सभी राज्यों विशेषकर झारखण्ड को प्राप्त हो. राज्य में तिलहन और दलहन उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं. राज्य में सिंचाई सुविधाओं का घोर अभाव है. मात्र 20% भूमि पर ही सिंचाई सुविधा उपलब्ध है. मेरा अनुरोध है कि झारखंड राज्य में लघु सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से सिंचाई की सुविधा को बढ़ाने हेतु एक विशेष पैकेज स्वीकृत किया. झारखण्ड में फसलों में विविधता लाने की दिशा में अभी तक कोई विशेष कार्य योजना पर कार्य नहीं हुआ है. कारण किसानों का सब्सिस्टेंस खेती पर केंद्रित रहना.
CM सोरेन ने कहा कि हमने धान अधिप्राप्ति को 2 वर्ष में 4 से 8 लाख टन पहुंचाया परंतु आगे बढ़ने के लिए केंद्र सरकार और FCI के विशेष सहयोग की आवश्यकता है. सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण हर 3-4 साल में झारखण्ड को सुखाड़ का दंश झेलना पड़ता है. वर्तमान परिस्थिति में राज्य सुखाड़ की ओर बढ़ रहा है. PM मोदी से आग्रह है कि झारखंड राज्य के लिए विशेष पैकेज स्वीकृत किया जाए जिससे सुखाड़ जैसी विकट समस्या से निबटा जा सके.
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