जमशेदपुर : उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में 17 दिनों से फंसे सभी 41 मजदूर मंगलवार की देर शाम सुरक्षित बाहर निकल आए. बांकीशोल पंचायत स्थित बाहदा गांव निवासी भक्तू मुर्मू (29) भी इनमें से एक है. उसके सकुशल बाहर निकलने का इंतजार कर रहे 70 वर्षीय पिता बासेत उर्फ बारसा मुर्मू की मंगलवार को सदमे में मौत हो गयी. बारसा मुर्मू के परिजनों ने बताया कि मंगलवार सुबह नाश्ता करने के बाद वे अपने दामाद के साथ आंगन में खाट पर बैठे थे। अचानक वे खाट से नीचे गिरे और उनका दम निकल गया।. दामाद ने इसकी जानकारी परिजनों को दी. भक्तू मुर्मू का बड़ा भाई रामराय मुर्मू भी कमाने के लिए चेन्नई गया हुआ है. वहीं, दूसरा भाई मंगल मुर्मू दूसरे गांव में मजदूरी करने गया था. घटना के समय घर पर बास्ते की पत्नी पिती मुर्मू, बेटी और दामाद थे.
14 दिनों से परेशान थे पिता..
परिजनों के मुताबिक, भक्तू मुर्मू के टनल में फंसने की खबर गांव के सोंगा बांडरा ने दी थी. वह भक्तू के साथ काम करता है. श्रमिकों के परिजनों और ग्रामीणों ने बताया कि. 12 नवंबर के बाद से कोई प्रशासनिक पदाधिकारी हालचाल पूछने इस परिवार के पास नहीं पहुंचा था. इधर, हर दिन निराशा जनक सूचना मिलने से पिता बास्ते मुर्मू सदमे में चले गये.
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