झारखंड : हमारे समाज में पुरुष क्रिकेटरों का अधिक बोलबाला है चाहे घरेलू क्रिकेट हो या अंतरराष्ट्रीय मंच. हर तरफ क्रिकेट का नाम सुनते ही सिर्फ पुरुष क्रिकेटर का ही चेहरा जेहन में आता है.दरअसल इनकी लोकप्रियता आसमान छूती है.
लेकिन जब बात महिला क्रिकेटर की आती है तो शायद ही कुछ नामो छोड़कर किसी को महिला क्रिकेटर के बारे में ज्यादा नहीं जानते है.
इसी कड़ी में आज हम आपको बताने वाले है झारखंड की महिला क्रिकेटर शांति कुमारी के बारे में जिन्होंने अपने दम पर रूढ़िवादी सोच को तोड़ते हुए आज महिला क्रिकेट लीग के ऑक्शन में अपने बेस प्राइस 25 लाख के साथ शांति को शॉर्टलिस्ट किया गया है. शांति रांची से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जिला रामगढ़ की रहने वाली है.
शांति ने भावुक होकर बोलीं, ‘आज जो कुछ हूं सब परिवार व दोस्तों के बदौलत है. मेरे पापा का नाम जलेश्वर करमाली व मां का नाम सुंदरी देवी है, मेरी तीन बड़ी बहन, एक छोटी बहन व एक छोटा भाई है। इन सबका योगदान मेरी जीवन में काफी अहम है। घर की माली हालत ठीक नहीं थी. आसपास के लोग बहुत ताना देते थे कहते थे लड़की क्रिकेट नहीं खेलती बल्कि घर संभालती है। पर पापा ने दुनिया को छोड़ मेरा साथ दिया व खेती कर मेरी सारी जरूरतों को पूरा किया है. कभी-कभी माड भात खाकर भी गुजारा करना पड़ता था. मेरे कुछ दोस्त जैसे सुनील मुंडा, गिनी गीता कजूर, संगीता कजूर व दीपिका इन चारों दोस्तों ने हमेशा मेरे हौसले को बढ़ाने का काम किया है। कभी परफॉर्मेंस खराब होता तो यह दोस्त हमेशा मेरे साथ खड़े होते और फिर से प्रयास करने की सलाह देते।
टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के शहर से ताल्लुक रखने वाली शांती ने भी माही की तरह फुटबॉल से शुरुआत की थी। शांति कहती है मैं बचपन से फुटबॉल खेलती थी फिर 2014 से क्रिकेट खेलना शुरू किया। मुझे पसंद था क्रिकेट लेकिन मुझे यही नहीं पता था कि लड़कियों की भी क्रिकेट टीम होती है। जब पता चला तो मन लगाकर अपनी सारी बल क्रिकेट में दे डाली. 1 साल की तैयारी में मैंने झारखंड स्टेट के लिए खेला शुरू कर दिया था. 22 वर्षीय राइट हैंड पेस बॉलर शांति कहती है, 15 साल की उम्र से कैंटोनीस झारखंड के लिए खेलते आ रही हूं.रामगढ़ के सरकारी स्कूल से 12वीं तक मैंने पढ़ाई की है। इसके बाद पढ़ना चाहती थी, लेकिन क्रिकेट की कारण से समय नहीं मिल पाया।
शांति कहती है कोच प्रवीण सर ने हमें बहुत सपोर्ट किया। खराब परफॉर्मेंस होता तब भी वह हमें सही सलाह देते आज उनके मार्गदर्शन का नतीजा है कि हम सही रास्ते पर व सही चीजें कर रहे हैं। वहीं अन्य कोच चंचल भट्टाचार्य,आशीष सर सीमा मैम का विशेष योगदान है. शांति कहती हैं. जब क्रिकेट से फुर्सत मिलता है तो डायरी लिखती हूं। इससे टेंशन कम व मन हल्का होता है.साथी अगले दिन फिर से क्रिकेट खेलने का जज्बा मिलता है.खाने के मामले में शांति कहती है वैसे झारखंड से हूं तो दुस्के छोले काफी पसंद व मडुआ चीला भी अच्छा लगता है.
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