New President of India: NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति चुनाव जीत गई हैं. वह देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति होंगी. उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को बड़े अंतर से हरा दिया है. वह आदिवासी समुदाय से आने वाली देश की पहली राष्ट्रपति हैं. वहीं, वह देश के शीर्ष पद पर पहुंचने वाली दूसरी महिला भी हैं.
जानिए कितनी पढ़ी-लिखी हैं देश की नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के एजुकेशनल क्वालिफिकेशन (Educational Qualification) की बात करें, तो शुरुआती दिनों में उनका जीवन काफी मुश्किलों भरा रहा. उन्होंने अपनी शुरवाती पढ़ाई अपने गांव से ही हासिल की. द्रौपदी मुर्मू ने यूनिट 2 गर्ल्स हाई स्कूल से 1974 में 10वीं पास की. उन्होंने इस स्कूल में 8,9 और 10वीं तक पढ़ाई की.
इसके बाद उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से इंटर और ग्रेजुएशन किया. ग्रेजुएशन के बाद उन्हें ओडिशा सरकार में सिंचाई और ऊर्जा विभाग में जूनियर असिस्टेंट की नौकरी मिली. उन्होंने 1979 से 1983 तक यहां काम किया. मुर्मू को शुरू से ही पढ़ाने का शौक रहा है. इस वजह से उन्होंने लंबे समय तक एक टीचर के रूप में काम किया. द्रौपदी मुर्मू ने 1994 से 1997 तक रायरंगपुर के श्री अरविंदो इंटिग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाया.
द्रौपदी मुर्मू का झारखंड से गहरा जुड़ाव रहा है
द्रौपदी मुर्मू का झारखंड से गहरा जुड़ाव रहा है. झारखंड की पहली महिला राज्यपाल के अलावा बोकारो जिला अंतर्गत गोमिया प्रखंड के ललपनिया स्थित लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोमगाढ़ से गहरा और आध्यात्मिक लगाव रहा है. संताली आदिवासियों की संस्कृति एवं परंपरा के इस उद्गम स्थल में द्रौपदी मुर्मू का 3 बार आगमन हुआ है. हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर यहां होने वाले अंतर्राष्ट्रीय संताल सरना धर्म महासम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि साल 2015, 2016 एवं 2019 में द्रौपदी मुर्मू यहां पहुंच चुकी है. अपने पूर्वजों के इस महान धर्मस्थल में आकर उन्होंने हमेशा गौरव की अनुभूति की है. आदिवासियों के उत्थान एवं विकास पर हमेशा जोर दिया. बचपन में दादी-नानी से लुगुबुरु घांटाबाड़ी से जुड़ी मान्यताएं, महत्व एवं किस्से-कहानियां सुनने का जिक्र किया. लोकगीत गाये और इसके माध्यम से लुगुबुरु का बखान किया.
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