गिरिडीह में बिजली कटी तो सरकारी अस्पताल में मोबाइल टॉर्च की रोशनी में हुआ इलाज

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Jharkhand News: झारखंड के गिरिडीह जिला से लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलने वाली तस्वीर सामने आई है। मामला सदर अस्पताल से जुड़ा है जो कि जिला का प्रमुख अस्पताल है। यहां जिला भर के मरीज इलाज कराने आते हैं। स्वास्थ्य केंद्रों, उप केंद्रों और रेफरल अस्पतालों से भी यहां मरीज इसलिए भेजे जाते हैं कि प्रखंड या अनुमंडल के अस्पतालों से यहां बेहतर इलाज हो सके लेकिन इसके विपरीत यहां की स्थिति बदतर है।

दरअसल, सदर अस्पताल प्रशासन ने इस जिला स्तरीय अस्पताल की हालत चौपट कर रखी है। आलम यह है कि अन्य सुविधाएं तो दूर यहां उचित रोशनी का भी इंतजाम नहीं रहता है। पूरे अस्पताल परिसर में अंधेरा पसरा रहता है। वार्ड में भर्ती मरीज अंधेरे में रात गुजारते हैं। पंखा बंद रहता है और मरीज रात भर गर्मी से बेहाल रहते हैं। सोमवार की देर रात अस्पताल अंधेरे में डूबा रहा। यहां मरीज कैंडल और मोबाइल की टॉर्च जला कर किसी तरह से रात गुजारते रहे वहीं डॉक्टर भी मरीजों का इलाज मोबाइल की टॉर्च जला कर ही कर रहे थे, जबकि यहां पर करीब एक करोड़ की लागत से सोलर सिस्टम प्लेट लगा हुआ है।

लेकिन यह शुरू से ही बेकार पड़ा हुआ है। सोलर सिस्टम दुरुस्त करने को लेकर कई बार संबंधित कंपनी व विभाग को पत्राचार किया गया, लेकिन ठीक करने के बजाय पूरी राशि निकालकर कंपनी फरार हो गई। अस्पताल में जेनरेटर है लेकिन उसे चलाया नहीं गया। बताया गया की जेनरेटर भी कई महीनों से खराब पड़ा है।

वहीं, अंधेरे में ही चिकित्सक भी मरीजों को देख रहे थे। मोबाइल की लाइट जलाकर मरीजों को इंजेक्शन दिया जा रहा था। हालांकि देर रात तक बिजली बहाल हो गई। इस मामले में सिविल सर्जन शिव प्रसाद मिश्रा (Civil Surgeon Shiv Prasad Mishra) ने कहा कि सोलर लाइट पहले से खराब है, वहीं कनेक्शन में कुछ टेक्निकल फॉल्ट आ गई थी जिसकी वजह से यह परेशानी हुई इसे सुधार लिया जाएगा।

 

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