Jharkhand News: विधानसभा परिसर में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी (Former CM Babulal Marandi) ने हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार की मंशा ठीक नहीं है, जिस वजह से युवाओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। राज्य गठन के बाद हमारी सरकार ने खतियान आधारित स्थानीयता बनाई कुछ लोग कोर्ट चले गए जिसके बाद न्यायालय के आदेश के कारण वह लागू नहीं हो पाया। फिर रघुवर सरकार में स्थानीय और नियोजन नीति 2016 में बनाई. लेकिन जब हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इस प्रदेश में सरकार बनी तो स्थानीय और नियोजन नीति को खारिज कर दिया और वे नया नियोजन नीति लेकर आए।
हेमंत सरकार की नियोजन नीति और अव्यावहारिक थी, जिसका विरोध हम लोग शुरू से कर रहे थे। झारखंड हाई कोर्ट के निर्णय के बाद वही हुआ जो हम लोग कह रहे थे। सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों के लिए 10वीं और 12वीं झारखंड से पास होना अनिवार्य और हिंदी-अंग्रेजी को दरकिनार कर उर्दू को प्राथमिकता देना उचित नहीं था। हाई कोर्ट ने भी इसे सही माना और नियोजन नीति को रद्द कर दिया।
दरअसल, बाबूलाल मरांडी ने कहा है की नियोजन नीति हाई कोर्ट से रद्द होने के बाद झारखंड के विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में हो गया है। सरकार की गलत नीतियों की वजह से झारखंड के युवा आज सड़कों पर हैं। जानकारी के अनुसार हेमंत सोरेन सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है, जिससे मामला और उलझेगा. मेरा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट जाने के बजाए हाई कोर्ट ने एक और अवसर दिया है जिसे सरकार यहीं बैठकर सुलझा सकती है। कोर्ट ने पिछले दिनों या 2003 में जिन-जिन बिदुओं पर आपत्ति जताई है उसमें निराकरण कर सरकार नियोजन और स्थानीय नीति बना सकती है।
वहीं, स्थानीय और नियोजन नीति बनाने का अधिकार झारखंड सरकार को है इसलिए अपने दायित्वों से सरकार ना भागे और केंद्र के माथे पर इसे देने का काम नहीं करे। और यहीं पर बैठ कर इसे तय करना चाहिए। 2007 में सर्वोच्च न्यायालय ने जजमेंट दिया था उसमें अदालत ने कहा था कि कोई भी कानून को 9वीं अनुसूची में डालने से कानून नहीं बन जायेगा। इसलिए सरकार हठधर्मिता के बजाय इसे झारखंड के नौजवानों के भविष्य को ध्यान में रखकर निर्णय लेना चाहिए।
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