Jharkhand News: झारखंड राज्य में पहली बार अवैध शराब की बिक्री की रोकथाम के लिए सरकार उठाने जा रही है बड़ा कदम, अब शराब की बोतलों का ट्रेकिंग कर इसपर नजर रखी जायेगी. राज्य सरकार के फैसले के बाद उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग द्वारा जल्द ही इसकी शुरुआत की जायेगी. यदि यह शुरू हो जाता है तो झारखंड सरकार का यह कदम शराब तस्करों की नींद उड़ाने वाली साबित होगी.
शराब की बोतल पर जीपीएस
विभागीय सचिव विनय कुमार चौबे (Vinay Kumar Choubey) के मुताबिक नई उत्पाद नीति के तहत राज्य में देसी और विदेशी शराब की तस्करी और चोरी रोकने के लिए सरकार शराब की हर बोतल को ट्रैक करेगी. जिसके लिए प्रत्येक हर बोतल में जीपीएस सिस्टम (GPS) से युक्त होलोग्राम और क्यूआर कोड लगाया जायेगा. जिससे कोई भी ग्राहक अपने मोबाइल से स्कैन कर पता कर सकता है कि इसका मैन्युफैक्चरिंग डेट, मूल्य और डिस्ट्रीब्यूशन कहां से हुआ है. दरअसल ग्राहकों की शिकायत रहती थी कि रेट चार्ट नहीं होने से लोगों को निर्धारित मूल्य से अधिक देना पड़ता है.
हालाँकि, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के मुताबिक शराब की बोतलों और केन पर सिक्योरिटी होलोग्राम लगाने का काम एक निजी कंपनी को दिया गया है. सिक्योरिटी होलोग्राम (Security Hologram) लगने से यह पता चल जायेगा कि इसका उत्पादन किस कंपनी ने किया है और सप्लाई और बिक्री कहां से हुई है. इससे नकली शराब की बिक्री और सप्लाई पर रोकथाम लगेगी.
वहीं, शराब विक्रेता संघ के महासचिव सुबोध जायसवाल (Subodh Jaiswal) ने कहा है कि इससे नकली शराब की बिक्री और सप्लाई पर रोकथाम कितना लगेगा वो तो वक्त ही बतायेगा. उन्होंने सरकार के इस फैसले पर तंज कसते हुए कहा है कि यह पहले भी पॉलिसी बनी थी मगर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. अब छत्तीसगढ़ की कंपनी यहां काम कर रही है तो देखना होगा कि यह कितना कारगर होता है.
जानकारी के लिए आप को बता दे की शराब ही ऐसा सेक्टर है जहां से राज्य सरकार को भारी भरकम राशि हर वर्ष राजस्व के रुप में प्राप्त होता है. झारखंड में शराब पर 75 फीसदी टैक्स है जो सरकार के खाते में जमा होता है. अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोरोना लॉकडाउन के बाबजूद 2020-21 में उत्पाद विभाग ने शराब बेचकर करीब 1800 करोड़ की कमाई किया था. ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि नई उत्पाद नीति से जहां राजस्व 3000 करोड़ तक आयेगा वहीं शराब की अवैध बिक्री और वितरण पर रोक लगेगी.
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