लखनऊ : मां की ममता और उसके प्यार को शब्दों में पिरोने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राणा का रविवार की रात दिल का दौरा पड़ने की वजह से रविवार देर रात निधन हो गया। रात करीब 11 बजे लखनऊ के PGI में उन्होंने अंतिम सांस ली. वह 9 जनवरी से ही यहां भर्ती थे. उससे पहले दो दिनों तक वह लखनऊ के ही मेदांता हॉस्पिटल में भी भर्ती थे. वह काफी वक़्त से किडनी रोग से जूझ रहे थे. उनकी बेटी सुमैया राणा ने उनके निधन की पुष्टि की.
सुमैया राणा ने बताया गया कि हफ्ते में तीन दफा उनकी डायलिसिस होती थी. वह क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित थे. विगत दिनों डायलिसिस के लिए गए थे, उसके बाद अचानक से चेस्ट में दर्द हुआ. चेकअप हुआ था. फेफड़ों में ज्याद पानी निकला और निमोनिया हो गया था. इस कारण सांस लेने में उन्हें काफी दिक्कत हो रही थी. मुनव्वर राणा देश के जाने-माने शायर थे. उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कर और माटी रतन सम्मान से भी नवाजा जा चुका है. पिछले लंबे वक़्त से वह सत्ता विरोध बयानबाजियों को लेकर भी सुर्खियों में रहे हैं. हिंदी, अवधी, उर्दू के शायर और कवि मुनव्वर राणा की काफी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं. उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था. हालांकि देश में असहिष्णुता का आरोप लगाते हुए उन्होंने अवॉर्ड वापस लौटा दिया था. वह सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर मुखर रहते थे.
शायर मुनव्वर राणा की कविताओं की सबसे उल्लेखनीय विशेषता यह थी कि वह अपने नज्मों में मां का सम्मान करते हैं. मुनव्वर राणा का जन्म 1952 में उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था, मगर उन्होंने अपना अधिकांश जीवन कोलकाता में बिताया. वहीं बेटी सुमैया राणा ने बताया कि पिता को गॉल ब्लैडर की भी परेशानी थी. वे मई 2023 में डायलिसिस के लिए अस्पताल गए थे. तो वहां पर उन्हें पेट दर्द हुआ, CT स्कैन करवाने पर गॉल ब्लैडर की रोग का पता चला. उन्होंने उसकी सर्जरी भी करवाई, इसके बावजूद तकलीफ होती रही और स्वास्थ्य में विशेष सुधार नहीं दिखा. रात 11 बजे लखनऊ PGI में उन्होंने अंतिम सांस ली.
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