दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से प्रभावित बच्चों के लिए राहत भरी खबर है। अब घाटी में आतंकवाद से प्रभावित बच्चों को एमबीबीएस और बीडीएस कोर्स (MBBS-BDS) में एडमिशन के लिए आरक्षण मिलेगा। इसके लिए जम्मू-कश्मीर बोर्ड ऑफ प्रोफेशनल इंट्रेंस एग्जामिनेशन (Board of Professional Entrance Examination) ने आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार, राज्य में एमबीबीएस और बीडीएस की सीटों पर आतंकवाद से प्रभावित छात्र-छात्राओं को केंद्रीय पूल सिस्टम के हिसाब से आरक्षण मिलेगा।
जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों से अनाथ हुए या पीड़ित बच्चे एमबीबीएस और बीडीएस कॉलेजों में प्रवेश के लिए आरक्षण का लाभ उठाने के पात्र होंगे। आरक्षण का फायदा उठाने के लिए आतंकवाद से प्रभावित छात्रों को कम से कम मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास करने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा उन्हें कोटा के लिए अलग से आवेदन करना होगा। आवेदन करने वालों में से मेरिट के आधार पर छात्रों का चयन किया जाएगा. मौजूदा शैक्षणिक साल के लिए सेंट्रल पूल के तहत आवेदन 11 नवंबर से शुरू होंगे।
दरअसल, पिछले कई दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहे जम्मू कश्मीर के निवासियों की मांग को केंद्र सरकार ने पूरा कर दिया है. आतंकवाद से प्रभावित लोगों की मांग थी कि उनके बच्चों को भी एमबीबीएस और बीडीएस की सीटों में आरक्षण दिया जाए, क्योकि आतंक के चलते बच्चों की पढाई पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है, खासकर जिनके मां-बाप इस आतंकवाद की बली चढ़े हैं। जम्मू प्रांत के जिला डोडा, रामबन, किशतवाड, ऊधमपुर और राजौरी व पुंछ में कई आतंकी घटनाएं हुई हैं, जिनमें सैकड़ों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है, जबकि कश्मीर के भी अनंतनाग, शोपियां, पहलगाम और कुपवाड़ा में आतंकी गतिविधियों से बहुत जयादा बच्चे प्रभावित हुए हैं।
वहीं, घाटी में आतंकवाद के चलते कई सैनिक व पुलिसकर्मी भी शहीद हुए, जिनके बच्चों की भी यही मांग थी कि उन्हें एमबीबीएस और बीडीएस के कोर्स में आरक्षण मिले। घाटी में पाकिस्तानी गोलाबारी के चलते बहुत ज्यादा परिवार प्रभावित हुए हैं. यही वजह है कि अब केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर सरकार की मांग को मान लिया है और यह माना है कि आतंकवाद से प्रभावित बच्चों को इन सीटों पर आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।
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