रांची : झारखंड में अवैध माइनिंग के जरिए हुई मनी लॉंड्रिंग मामले में ED का शिकंजा कसता जा रहा है. ईडी ने 16 सितंबर को पीएमएलए कोर्ट में दाखिल अभियोजन शिकायत के जरिए कई चौंकाने वाले तथ्य पेश किए हैं. कई संदिग्ध और आरोपियों से पूछताछ, फोन रिकॉर्ड और जब्त दस्तावेज के आधार पर तैयार करीब 5 हजार पन्नों की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली बातों का जिक्र है. ED का दावा है कि. बीते 8 जुलाई को मनी लॉंड्रिंग के मुख्य अभियुक्त पंकज मिश्रा के घर छापेमारी के दौरान सीएम हेमंत सोरेन का पासबुक मिला है. चेक बुक भी मिला है जिनमें कुछ पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर हैं और कुछ पर नहीं. उनका पासबुक साहिबगंज स्थित बैंक ऑफ इंडिया के गंगाप्रसाद ब्रांच का है.
8 जुलाई की छापेमारी के बाद 19 जुलाई से मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा न्यायिक हिरासत में हैं. फिलहाल तबीयत खराब होने की वजह से रांची के रिम्स में इलाजरत है. इसी मामले में 5 अगस्त से न्यायिक हिरासत में चल रहे प्रेम प्रकाश को लेकर ईडी ने अभियोजन शिकायत में कई बातों का जिक्र किया है. JMM के पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल के हवाले से बताया गया है कि उनकी मौजूदगी में मुख्यमंत्री ने पंकज मिश्रा को निर्देश दिया था कि संथाल में पत्थर और बालू के कारोबार से आने वाले फंड को सीधे प्रेम प्रकाश को हैंड ओवर करना है. प्रेम प्रकाश को कोलकाता के व्यवसायी अमित अग्रवाल तक पैसे पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई थी. इसको पुख्ता करने के लिए ईडी ने कोर्ट में गवाहों की लिस्ट भी दी है.
ED के एक्शन के बाद गरमाई राजनीति
ईडी की इस कार्रवाई के बाद झारखंड की राजनीति भी गरमा गई है. झारखण्ड भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि उन्होंने डेढ़ साल पहले ही सीएम हेमंत सोरेन को सार्वजनिक रूप से पत्र लिखकर बताया था कि संथाल में किस तरह से खुलेआम गैरकानूनी माइनिंग हो रही है. नियम का उल्लंघन कर गरम घाट से जहाज के जरिए स्टोन चिप्स की ढुलाई हो रही है. ओवरलोडिंग के कारण हादसे की आशंका भी जतायी गई थी. बाद में ऐसा हुआ भी. जहाज पर लदे कई हाईवा गंगा में समा गये. पूरा काम सीएम के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा की देखरेख में चल रहा था.
वहीं उन्होंने कहा कि ED ने तो सिर्फ साहिबगंज में 1000 करोड़ से ज्यादा के अवैध माइनिंग का अनुमान लगाया है. संथाल के अन्य जिलों की जांच करने पर हजारों करोड़ की अवैध माइनिंग का खुलासा होगा. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि ईडी को मुख्यमंत्री से भी पूछताछ करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि विधायक प्रतिनिधि पर इतने गंभीर आरोप लग चुके हैं. यह सब मुख्यमंत्री के बचाव के बगैर संभव ही नहीं है. उन्होंने कहा कि वह जानते हैं सीएम इस्तीफा नहीं देंगे, इसलिए सरकार को ही बर्खास्त करना चाहिए.
इन आरोपों पर JMM नेता मनोज पांडेय ने कहा कि हेमंत सरकार में खनिज से राजस्व बढ़ा है. प्रेम प्रकाश को 2017-18 में ही बॉडीगार्ड मिला था. उनका पूर्व की सरकार में क्या रसूख था, यह सभी जानते हैं. जहां तक पासबुक और चेकबुक मिलने की बात है तो पंकज मिश्रा तो उनके विधायक प्रतिनिधि हैं. इसको लेकर भाजपा क्यों हायतौबा मचा रही है. अगर मुख्यमंत्री के बरहेट स्थित निजी घर का बिजली बिल भी जमा करना पड़ेगा तो उसे कौन जमा करेगा. मनोज पांडेय ने कहा कि बाबूलाल मरांडी ने पिछली सरकार पर विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया था. आज फिर उसी दल के दलदल में फंस गये हैं. बाबूलाल मरांडी अब जनाधार विहीन नेता है. जब वह पतना के गांव में पहुंचते हैं तो बमुश्किल 20-25 औरतें पहुंचती हैं. उन्हें परिचन देना पड़ा था. जहां तक रवि केजरीवाल की बात है तो उन्हें तो पार्टी पहले की निष्कासित कर चुकी है. वह खुद विश्वसीय नहीं रहे हैं. वह चंद पूंजीपतियों के इशारे पर बयान दे रहे हैं. उसका कोई औचित्य नहीं है. झामुमो को अदालत पर पूरा विश्वास है. आने वाले समय में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.
रवि पर है सरकार गिराने की साजिश का है आरोपः सबसे खास बात यह है कि 2019 के चुनाव के बाद सत्ता में आने पर रवि केजरीवाल को कोषाध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था. बाद में पार्टी विरोधी गतिविधि के हवाले से अगस्त 2020 में छह साल के लिए निलंबित कर दिया गया था. इसके ठीक कुछ माह बाद अक्टूबर 2021 में पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला से झामुमो विधायक रामदास सोरेन ने रांची के धुर्वा थाने में यह कहते हुए प्राथमिकी दर्ज करवाई थी कि हेमंत सरकार को गिराने की साजिश की जा रही है. उनका आरोप था कि रवि केजरीवाल और अशोक अग्रवाल उनको फोन कर पार्टी छोड़ने का लालच दे रहे हैं. रामदास सोरेन ने आरोप लगाया था कि रवि केजरीवाल के अनुसार JMM के कई विधायक उनके संपर्क में हैं. आप अगर पार्टी छोड़ते हैं तो नई सरकार में मंत्री बनेंगे. फिलहाल इस मामले की जांच चल रही है.
राजभवन पर टिकी हैं सबकी नजरें
एक तरफ मनी लांड्रिंग की जांच चल रही है तो दूसरी तरफ सीएम हेमंत सोरेन के नाम रांची के अनगड़ा में पत्थर खदान आवंटन से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में 25 अगस्त को चुनाव आयोग का मंतव्य राजभवन पहुंचने के बाद से सूबे की सत्ता में खलबली मची हुई है. मुख्यमंत्री पर अयोग्यता यानी डिस्क्वॉलिफिकेशन की तलवार लटक रही है. लेकिन पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल रमेश बैस ने लिफाफा इतना चिपका है कि खुल नहीं रहा है कहकर सस्पेंस और बढ़ा दिया है.
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