बेरमो के अनूप कुमार को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस किया गया सम्मानित !

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Bermo was honored on International Human Rights Day
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बेरमो / गांधीनगर/ जरीडीह बाजार: अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस 2022 के उपलक्ष्य में बेरमो जरीडीह बाजार निवासी मानवाधिकार अधिकारी अनूप कुमार को लगातार मानवाधिकार के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान व समाजिक प्रेरणा हेतु सम्मानित किया गया। अनूप कुमार को एनएचआरसीसीबी मानवाधिकार सुरक्षा सम्मान पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया।

अनूप कुमार ने समस्त देश वासियों को समान सम्मान, आम नागरिकों के हितों को अधिकारों की रक्षा मानवीय धर्म के प्रति सजगता के उद्देश्य हेतु समर्पित विश्व मानव अधिकार दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं संदेश दिया।
अनूप कुमार ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के शुभ अवसर पर हमारे देश के संविधान में हर मानव का अधिकार “मौलिक अधिकार” के रूप में निश्चित किया गया है। हम सब अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझें और देश के विकास में अपना योगदान दें।

मानवाधिकार दिवस पर एक संदेश :

मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर सभी को बधाई, जो 1950 से हर वर्ष 10 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1948 में मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, यूडीएचआर की स्मृति में मनाया जाता है। यह इस वर्ष मील का पत्थर 75 वीं वर्षगांठ में प्रवेश कर रहा है। और अमृत काल मानव अधिकारों के प्रचार और संरक्षण के महत्व पर वैश्विक सहमति को चिह्नित करने के लिए।

यूडीएचआर के सिद्धांतों को याद रखने और मजबूत करने के लिए दिन मनाया जाता है कि हर इंसान, नस्ल, रंग, धर्म, लिंग, भाषा, राजनीतिक या अन्य राय, राष्ट्रीय या सामाजिक मूल, संपत्ति, जन्म या अन्य स्थिति की परवाह किए बिना, समान पैदा होता है और जीवन, स्वतंत्रता, गरिमा और समानता के अविच्छेद्य अधिकार हैं। हालाँकि, हमें हर अधिकार को निभाए जाने वाले कुछ संबंधित कर्तव्य से सह-संबंधित करना होगा।

आज मानवाधिकारों की विभिन्न नई चिंताओं के बीच, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण का क्षरण दुनिया भर में कई मानवाधिकारों के उल्लंघन का एक प्रमुख कारण बनकर उभर रहा है, जिसके लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी हितधारकों को वृद्धि और विकास के हितों में योगदान करने की आवश्यकता है। सभी का समान रूप से।

एनएचआरसी, भारत का आदर्श वाक्य – “सर्वे भवंतु सुखिना”, यानी हर जगह खुशी हो, पृथ्वी पर जीवन का सार है। यह ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के पुराने पारंपरिक भारतीय विश्वास में भी निहित है, अर्थात विश्व एक परिवार है। आइए हम एक बेहतर दुनिया के लिए अपनी सर्वोत्कृष्ट खोज में मानवाधिकारों और भावनाओं को महत्व देकर शांति और सद्भाव की तलाश के इस मार्ग के माध्यम से अपना मार्गदर्शन करने के लिए हाथ मिलाएं।

जय हिन्द !

अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस (INTERNATIONAL HUMAN RIGHTS DAY)

1. परिचय – मानव अधिकार दिवस प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को दुनिया भर में मनाया जाता है। मानवाधिकारों की पहली वैश्विक घोषणा और नए संयुक्त राष्ट्र की पहली प्रमुख उपलब्धियों में से एक, मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा की 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अंगीकरण और उद्घोषणा का सम्मान करने के लिए तिथि का चयन किया गया था। मानवाधिकार दिवस की औपचारिक स्थापना 4 दिसंबर 1950 को महासभा की 317वीं पूर्ण बैठक में हुई, जब महासभा ने संकल्प 423 (V) की घोषणा की, जिसमें सभी सदस्य राज्यों और किसी भी अन्य इच्छुक संगठनों को इस दिन को मनाने के लिए आमंत्रित किया गया था। इस दिन को आम तौर पर उच्च-स्तरीय राजनीतिक सम्मेलनों और बैठकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों और मानवाधिकारों के मुद्दों से संबंधित प्रदर्शनियों द्वारा चिह्नित किया जाता है। इसके अलावा, यह परंपरागत रूप से 10 दिसंबर को मानवाधिकारों के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र पुरस्कार और नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। मानवाधिकार के क्षेत्र में सक्रिय कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठन भी इस दिन को मनाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जैसा कि कई नागरिक और सामाजिक-कारण संगठन करते हैं।

2. इतिहास – संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने 10 दिसंबर, 1948 को विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी कर प्रथम बार मानवों के अधिकार के बारे में बात रखी थी। हालांकि आधिकारिक तौर पर इस दिन की घोषणा 1950 में हुई। इस दिन अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस’ (International Human Rights Day) मनाने के लिए असेंबली ने सभी देशों को आमंत्रित किया, जिसके बाद असेंबली ने 423 (V) रेज़्योलुशन पास कर सभी देशों और संबंधित संगठनों को इस दिन को मनाने की सूचना जारी की थी। मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा 500 से ज्यादा भाषाओं में उपलब्ध हैं। वहीं, भारत में 28 सितंबर, 1993 से मानव अधिकार कानून अमल में लाया गया था और 12 अक्तूबर, 1993 को ‘राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर 1948 को घोषणा पत्र को मान्यता दिए जाने पर 10 दिसंबर का दिन मानवाधिकार दिवस के लिए निश्चित किया गया।

3. उद्धेश्य – मानवाधिकार का अर्थ विश्व में रहने वाले प्रत्येक मानव को प्राप्त कुछ विशेष अधिकार जो विश्व को एक सूत्र में बांधते हों, हर व्यक्ति की रक्षा करते हों, उसे दुनिया में स्वतंत्रता के साथ जीवन यापन करने की छूट देते हों। किसी व्यक्ति के साथ किसी भी कीमत पर कोई भेदभाव न हो, समस्या न हो, सब शांति से खुशी- खुशी अपना जीवन जी सकें, इसलिए मानवाधिकारों का निर्माण हुआ। मानवाधिकार दिवस (Human Rights Day) लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। मानव अधिकार का मतलब मनुष्यों को वो सभी अधिकार देना है, जो व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं। यह सभी अधिकार भारतीय संविधान के भाग-तीन में मूलभूत अधिकारों के नाम से मौजूद हैं और इन अधिकारों का उल्लंघन करने वालों को अदालत द्वारा सजा दी जाती है। मानवाधिकार में स्वास्थ्य, आर्थिक सामाजिक, और शिक्षा का अधिकार भी शामिल है। मानवाधिकार वे मूलभूत नैसर्गिक अधिकार हैं जिनसे मनुष्य को नस्ल, जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग आदि के आधार पर वंचित या प्रताड़ित नहीं किया जा सकता।
भारत में 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया, जिसके बाद से मानवाधिकार आयोग राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्य क्षेत्रों में भी काम करता है। जैसे मजदूरी, HIV एड्स, हेल्थ, बाल विवाह, महिला अधिकार। मानवाधिकार आयोग का काम ज्यादा से ज्यादा लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। हालांकि भारत में अगर मानवाधिकारों की बात की जाए तो यह साफ है कि आज भी बहुत सारे लोगों को मानवाधिकार के बारे में जानकारी ही नहीं है, जबकि वे उनके खुद के अधिकार हैं। पिछड़े हुए राज्यों एवं गांवों में जहां साक्षरता का स्तर थोड़ा कम है, वहां मानवाधिकारों का हनन होना आम बात है। ऐसे इलाकों में जिन लोगों के पास ताकत है, वे इनका पालन नहीं करते और सामान्य लोगों पर दबाव बनाते हैं। शहरों में जिन लोगों को मानवाधिकारों की जानकारी तो है लेकिन वे इनसे गलत फायदा भी उठा लेते हैं। ज्यादातर मानवाधिकार हनन के मामले पुलिस के खिलाफ आते है, जिसमे मुख्यत: पद का दुरुपयोग, घूसखोरी और एफआईआर नही दर्ज किए जाने की शिकायते आती है। मानवाधिकार आयोग ऐसे मामलों में काफी गंभीर है एवम इस पर तत्वरित करवाई भी करती है।कोई भी पीड़ित या शिकायतकर्ता अपने क्षेत्र के मानवाधिकार कार्यकर्ता से मिल कर या फिर ऑफलाइन या ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा सकते है।
भारतीय संविधान में सभी वर्ग के लिए समान अधिकार एवं न्याय की व्यवस्था है।

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