बड़कागांव (हजारीबाग): अडाणी फॉउंडेशन ने गुरुवार को बड़कागांव के बलोदर स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय में अपने सीएसआर कार्यक्रम के तहत एक हेल्थ चेक अप कैंप का आयोजन किया। इस अवसर पर डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ ने ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जानकारी ली। सुबह 10 बजे से दिन भर चले इस कैंप में बड़ी संख्या में महिलाएं और बुजुर्ग मौजूद थे। आठ लोगों की मेडिकल टीम ने कैंप में आये सभी ग्रामीणों की बुनियादी चिकित्सा जांच की और उन्हें जरुरत के हिसाब से दवाईयां की। इस चेक अप कैंप में बड़ी संख्या में महिलाएं अपने नवजात बच्चों को भी डॉक्टर से दिखाने पहुंची थीं।
कैंप में मौजूद बड़कागांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की टीम ने नवजात बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की और उनका वजन मापा। साथ ही उन्हें आवश्यक टीके भी लगाए। इस दौरान करीब चालीस से अधिक बच्चों का टीकाकरण हुआ। कैम्प में कोरोना जांच के लिए भी सैम्पल लिए गए।
ग्रामीणों में दिखा उत्साह, चेक अप के बाद खुश नजर आए लोग
अडाणी फॉउंडेशन की तरफ से लगाए गए इस मेडिकल चेक अप कैम्प में शामिल ग्रामीण उत्साहित नजर आए। डॉक्टर और मेडिकल टीम को देख कर महिलाएं और बुजुर्गों के चेहरे खिले दिखे। सभी ने खुद से आगे आकर अपने स्वास्थ्य सम्बन्धी चीजों की जानकारी डॉक्टर को दी और उनसे आवश्यक परामर्श लिया। ग्रामीणों ने कहा कि डॉक्टर द्वारा दी गयी सभी सलाह का वो अनुपालन करेंगे। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि ऐसे हेल्थ चेक अप कैंप समय-समय पर लगते रहने चाहिए ताकि उनका समाज स्वस्थ बना रह सके।
बरसात के पानी में न भींगे, कोई भी लक्षण दिखे तो जांच जरूर कराएं: मेडिकल टीम
वहीं, मेडिकल टीम ने ग्रामीणों को कोरोना से बचाव के लिए सभी आवश्यक सावधानियां बरतने की अपील की। बताया कि कोरोना महामारी अभी ख़त्म नहीं हुई है। इसलिए इससे बचाव के लिए जागरूक रहने की जरुरत है। कैंप में मौजूद ग्रामीणों को यह भी बताया गया कि बदलते मौसम में लोग अपने स्वास्थ्य का अच्छे से ध्यान रखें। मौसम बदलने के साथ ही बीमारियों का प्रकोप भी शुरू हो जाता है। सबसे पहले बच्चे इनकी चपेट में आते हैं। इसलिए सर्दी-खांसी, जुकाम जैसे तरह-तरह के वायरल और दूसरी बीमारियों से बचने के लिए सावधानी बेहद जरुरी है। उन्होंने कहा कि बरसात के पानी में न भींगे। साथ ही किसी भी बीमारी से बचने के लिए समय पर जांच जरूरी है। मेडिकल जांच के बाद ही किसी भी रोग का इलाज सही तरीके से किया जा सकता है। लोग गंभीर रोग को मामूली समझकर मेडिकल स्टोर से दवा लेकर खा लेते हैं और तत्काल समस्या भी कम हो जाती है। लेकिन धीरे-धीरे अंदर से रोग गंभीर हो जाता है। बाद में यह मरीजों को लिए परेशानी का कारण बन जाता है।
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