मां मैं जज बन गई, रिजल्ट लेकर सबसे पहले सब्जी बेच रही मां के ठेले पर पहुंची लाडली, कभी फीस के पैसे नहीं थे

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Sabziwala's daughter became judge in Indore
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Indore: हर वो व्यक्ति जो ईमानदारी से पुरी लगन के साथ कड़ी मेहनत करता है, वह व्यक्ति अपने जीवन में सफल जरुर होता है या फिर सफलता के नजदीक पहुँच जाता है, लोग कई बार ये सोचकर आगे बढ़ते कि शायद किस्मत उनका साथ देगी. पर यकीन मानिये किस्मत भी उन्ही का साथ देती है जो कड़ी मेहनत करना जानते है. कुछ ऐसा ही कमाल इंदौर में सब्जी बेचने वाले परिवार की बेटी ने किया है. इनकी कामयाबी के चर्चे हर तरफ हो रहे हैं. क्योंकि सब्जी बेचने वाले की बेटी सिविल जज एग्जाम पास कर जज (Judge) जो बन गई है. SC कोटे में 5वां स्थान हासिल किया है.

अंकिता नागर दिन में बेचती सब्जी और रात में करती पढ़ाई

कामयाबी के शिखर तक पहुंचने वाली यह बेटी 25 साल की अंकिता नागर है. बुधवार को जैसे ही ऑनलाइन रिजल्ट उसके हाथ आया तो वो खुशी से झूम उठीं. वह पास हो चुकी थी. सड़क किनारे सब्जी बेंज रही मां को उसने सबसे पहले यह गुड न्यूज दी. वहीं, अंकिता ने बताया- मेरा परिवार सब्जी बेचता है. वह खुद पढ़ाई के बाद मां के साथ सब्जी बेचने के लिए जाती है. इसी से हमारे घर का खर्च चलता है. पापा सुबह 5 बजे उठकर मंडी जाते हैं. मम्मी सुबह 8 बजे दुकान लगाने के लिए ठेला लेकर सड़क किनारे पहुंच जाती हैं. बड़ा भाई आकाश रेत मंडी में मजदूरी करता है. छोटी बहन की शादी हो चुकी है, पढ़ाई के चलते मैंने शादी नहीं की, माता-पिता ने भी इसमें मेरा सहयोग किया. अगर वह मेरा सपोर्ट नहीं करते तो शायद यहां तक नहीं पहुंच पाती.

अंकिता ने बताया कि रिजल्ट एक हफ्ते पहले जारी हो गया था, लेकिन परिवार में मौत हो जाने के कारण सभी इंदौर से बाहर थे. घर में गम का माहौल था. इसलिए किसी को इस बारे में नहीं बताया था. वहीं, बेटी की इस कामयाबी पर अंकिता के पापा अशोक नागर ने बताया- मेरी खुशी का ठिकाना नहीं है. पूरे परिवार ने संघर्ष का सामना किया. हम आर्थिक संकट से भी गुजरे क्योंकि सब्जी में ज्यादा कमाई नहीं है फिर भी हमने थोड़ा-थोड़ा पैसा बचाकर बच्चों को पढ़ाया. मैं तो यही कहूंगा कि बेटे और बेटी में फर्क नहीं करना चाहिए.

3 साल से सिविल जज बनने की कर रही थी तैयारी

अंकिता ने मीडिया को बताया कि वह पिछले 3 साल से सिविल जज (civil judge) बनने की तैयारी कर रही है. दो बार सिलेक्शन नहीं होने के बाद भी माता-पिता ने कुछ नहीं कहा. उल्टा जब मैं निराश हो जाती तो वह हौसला दिलाते रहे. आसपास के लोग शादी की बात करते तो माता-पिता कह देते थे कि अभी वह पढ़ाई कर रही है. वहीं, अंकिता ने कहा कि उनके घर में कमरे बहुत छोटे हैं. परिवार की हालत इतनी ठीक नहीं कि वह कहीं और जगह रह सकें. गर्मी के समय में भी मैंने छत पर बैठकर पढ़ाई की है. गर्मी देख भाई ने अपनी मजदूरी से रुपए बचाकर कुछ दिन पहले ही एक कूलर दिलवाया है। मेरे परिवार ने जो कुछ मेरे लिए किया उसके लिए धन्यवाद कहने के लिए शब्द नहीं है. बता दें कि अंकिता ने 2017 में इंदौर के वैष्णव कॉलेज से LLB किया. 2021 में LLM की परीक्षा पास की है.

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