बड़कागांव: 27 फरवरी 2023 को दैनिक जागरण संस्करण में छापे गये एनटीपीसी पर 400 एकड़ में अवैध खनन का एवं 82 करोड़ रुपये का जुर्माना से संबन्धित सामाचार प्रकाशित किया गया है. इस संदर्भ में एनटीपीसी पकरी बरवाडीह इस न्यूज़ का खंडन करते हुए यह बताना उचित समझती है कि जिस भूमि पर अवैध खनन करने की बात की जा रही है वह वन भूमि भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दिनांक 17 सितम्बर 2010 को एनटीपीसी को हस्तांतरित कर दिया गया गया था। अतः अवैध खनन की रिपोर्ट, सरासर बेबुनियाद एवं तथ्यहीन है। अतः दैनिक जागरण तथा अन्य समाचार पत्रों में इससे संबंधित न्यूज़ का एनटीपीसी पुरजोर खंडन करता है.
यहां यह बताना उचित होगा कि एनटीपीसी को भारत सरकार के कोयला मंत्रालय द्वारा वर्ष 2004 में पकरी बरवाडीह कोयला ब्लॉक आवंटित की गई थी तथा एनटीपीसी कोयला खनन से संबंधित सभी वैधानिक अनुमति प्राप्त करने के तत्पश्चात वर्ष 2016 के दिसंबर माह में अपनी पहली कोयला खनन पर योजना चालू की थी।
यहां यह बताना भी उचित है कि पकरी बरवाडीह कोयला खनन परियोजना में ओपन कास्ट हेतु माइनिंग प्लान का अनुमोदन वर्ष 2006 में भारत सरकार के कोयला मंत्रालय द्वारा दिया गया है. इस परियोजना में लगभग 4695 हेक्टेयर वन भूमि सम्मिलित है तथा प्रथम चरण में कोयला खनन हेतु कुल 3319.92 हेक्टेयर भूमि में कोयला खनन होना है। इस 3319.92 हेक्टेयर भूमि में लगभग 1026.438 हेक्टेयर वन भूमि सन्निहित है, जिसका हस्तांतरण भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा 2010 में एनटीपीसी को किया जा चुका है। यह भी बताना होगा कि इस परियोजना से लगभग 19 गांव प्रभावित हो रहे हैं तथा गांव के सभी भूमि एनटीपीसी को हस्तांतरित किया जा चुका है।
समाचार में समेकित क्षेत्रीय कार्यालय के जिस रिपोर्ट की उल्लेख किया गया है वह रिपोर्ट फॉरेस्ट क्लीयरेंस की शर्त संख्या 8 के वायलेशन से संबंधित है ना कि अवैध खनन से संबंधित है। इस संदर्भ में यह बताना उचित होगा कि पकरी बरवाडीह कोयला खनन परियोजना के कुल ब्लॉक से होकर मुख्य रूप से तीन मौसमी नालाएं गुजरती है। पूर्व में पकवा नाला, पश्चिम में खोरा नाला एवं मध्य में दुमुहानी नाला, जैसा कि ऊपर बताया गया है पकरी बरवाडीह एक ओपन कास्ट खनन परियोजना है तथा इसके खनन क्षेत्र में आने वाले संरचनाओं को हटाया जाना अनिवार्य है। अतः इस परियोजना के अंतर्गत आने वाले सभी ग्रामीणों को विस्थापित किया जाना है तथा सभी नदी नाले, तालाब इत्यादि भी रीलोकेट या डायवर्ट किया जाना अनिवार्य है तथा इसके लिए एनटीपीसी ने सक्षम स्तर से अनुमति भी प्राप्त किया है।
विदित हो कि आरोपकर्ता ने जिस दुमुहानी नाला को अवैध रूप से खनन करने का आरोप लगाया है उस नाले के डाइवर्जन हेतु झारखंड सरकार के जल संसाधन विभाग के द्वारा वर्ष 2013 में ही अनुमति प्राप्त है। साथ ही इस नाले के डायवर्सन हेतु भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा पर्यावरणीय स्वीकृति भी प्रदान की है। अतः दुमुहानी नाला का अवैध खनन का रिपोर्ट सरासर बेबुनियाद है। जहां तक फॉरेस्ट क्लीयरेंस के शर्त संख्या 8 के संबंध में है यह बताना उचित होगा कि दुमुहानी नाला पकरी बरवाडी परियोजना के मध्य से होकर गुजरती है तथा परियोजना के दक्षिणी बाउंड्री के पास खोरा नाला में समाविष्ट हो जाती है अतः इस मौसमी नाले में बहने वाले बरसाती पानी को डाइवर्ट किए बिना तकनीकी रूप से सुरक्षित खनन नहीं किया जा सकता है। साथ ही यह बताना चाहेंगे कि फॉरेस्ट क्लीयरेंस के शर्त संख्या 8 में डुमुहानी नाला का नाम लिपिकीय गलती के कारण लिखा गया है इस संदर्भ में एनटीपीसी ने फॉरेस्ट क्लीयरेंस के शर्त संख्या 8 के संशोधन हेतु वर्ष 2018 में भारत सरकार के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को आवेदन दिया गया था जो वर्तमान में भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में प्रक्रियाधीन है।
जैसा कि समाचार के अंतिम भाग में सड़क मार्ग से अवैध परिवहन का जिक्र है तो यह बताना चाहेंगे कि यह समाचार भी तथ्यों से रहित एवं मनगढ़ंत तथा कंवेयर सिस्टम के बारे में जाने बिना ही समाचार लिख 2 / 2 दिया गया है।
यह बताना उचित होगा कि पकरी बरवाडीह कोयला खनन परियोजना में कोयला परिवहन हेतु कंवेयर सिस्टम पूरे एशिया के सबसे लंबी कंवेयर सिस्टम में से एक है तथा इसका निमान कई चरणों मे किया जाना है । यहा यह बताना समुचित होगा कि पकरी बरवाडीह कोयला खनन परियोजना में बनने वाले कंवेयर सिस्टम का अंतिम चरण अर्थात कोयले की निकासी के लिए सीएचपी (सीएचपी) से रेलवे वैगन में कोयले की लोडिंग के लिए रैपिड लोडिंग सिस्टम (आरएलएस), जिससे कि कोयले को रेल में तेजी से लोड किया जाता का निर्माण चल रहा है।
अतः एनटीपीसी पर लगाया गया अवैध खनन तथा अवैध परिवहन का आरोप बिलकुल ही निरधार तथ्यविहीन एवं एनटीपीसी के छवि को खराब करने हेतु प्रकाशित की जा रही है और इन सभी प्रकाशित समाचारों को एनटीपीसी खंडन करते हुये अपना विरोध व्यक्त करती है। उक्त आशय की जानकारी एनटीपीसी के पीआरओ दिलीप ठाकुर ने दिया।
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