सड़क हादसे में एंबुलेंस का नहीं करना होगा इंतजार, अब घायलों को पुलिस पहुंचाएगी अस्पताल

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झारखंड: सड़क हादसे में जख्मी होने वाले लोगों को अब एंबुलेंस का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। मौके पर मौजूद पुलिस के वाहनों के जरिए ही उन्हें गोल्डेन आवर (घंटे) में ही अस्पताल पहुंचाया जाएगा। इस कार्य के लिए पुलिस के वाहनों को पोर्टेबल स्ट्रेचर सहित प्राथमिक इलाज के तमाम सुविधाओं से लैस किया जा रहा है।

दरअसल, सड़क हादसों में जख्मी होने वाले लोगों के लिए गोल्डेन आवर बहुत महत्वपूर्ण होता है। किसी भी घायल व्यक्ति को अगर गोल्डेन आवर के दौरान अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बचने की संभावना 90% तक बढ़ जाती है। किसी भी दुर्घटना के दौरान सबसे पहले पहुंचने वाली पुलिस होती है। ऐसे में अब पुलिस के सभी वाहनों को मेडिकल किट से लैस किया जा रहा है। राजधानी रांची में इसकी शुरुआत हो चुकी है।

आपको बता दें की शुरुआती दौर में पुलिस के द्वारा सीएसआर फंड के जरिए 20 पोर्टेबल स्ट्रेचर की खरीदारी हो चुकी है। पोर्टेबल स्ट्रेचर (Portable Stretcher) के अलावा पुलिस कर्मियों को पहनने के लिए गाउन और दूसरी चिकित्सा सामग्री भी पुलिस के वाहनों में उपलब्ध रहेगा। अगर सड़क दुर्घटना में कोई जख्मी होता है या फिर किसी अन्य घटना में भी कोई गंभीर रूप से घायल होता है तो उसे नजदीकी अस्पताल पहुंचाने के लिए पुलिस की टीम पोर्टेबल स्ट्रेचर की मदद से उसे अपने वाहन के जरिये अस्पताल तक पहुंचाएगी।

रांची के प्रभारी ट्रैफिक एसपी नौशाद आलम ने बताया कि हादसों में घायलों को जल्द अस्पताल पहुंचाने के लिए फोल्डिंग स्ट्रेचर की खरीदारी की गई है। ट्रैफिक एसपी के मुताबिक आमतौर पर यह देखा जाता है कि किसी भी जख्मी व्यक्ति के पास एंबुलेंस नहीं पहुंचने की हालत में पैर हाथ पकड़कर पुलिस वाहन या फिर किसी दूसरे वाहन में अस्पताल ले जाया जाता है, जो कहीं से भी मानवीय नहीं होता है। यही वजह है कि राजधानी रांची में CSR फंड के जरिए 20 टेबल स्ट्रेचर की खरीदारी कर ली गई है। इसके जरिए घायलों को बेहतर तरीके से पुलिस के वाहन में रखकर अस्पताल पहुंचाया जा सकता है।

वहीं, बीते बुधवार को ADG अभियान संजय आनंद लाठकर और सड़क सुरक्षा कोषांग के डीआईजी सुनील भास्कर की अध्यक्षता में राज्य के सभी जिलों के एसपी व डीआईजी और ट्रैफिक अधिकारियों के साथ सड़क हादसों पर ब्रेक लगाने और घायलों के गोल्डेन आवर में इलाज के लिए महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। बैठक में यह फैसला लिया गया है कि थाना स्तर से प्रत्येक थाने में पदास्थापित 3 पुलिसकर्मियों को प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वक्त पर जरूरी हेल्थ केयर मिलने से जान माल के नुकसान को कम किया जा सके।

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