हजारीबाग: भारतीय सिनेमा के इंडस्ट्री का नाम बॉलीवुड है. तो भोजपुरी सिनेमा का इंडस्ट्री का नाम भोजीवुड. साउथ फिल्मों के इंडस्ट्री का नाम टॉलीवुड, ठीक उसी प्रकार से झारखंड के फिल्म इंडस्ट्री का नाम झॉलीवुड है. 2014 में झारखंड की राजधानी रांची में झॉलीवुड का निर्माण किया गया था.
अब तक आठ बड़ी फिल्में झॉलीवुड के बैनर तले बनाई गई है.
झॉलीवुड के कलाकार मुकेश राम प्रजापति बताते हैं कि झॉलीवुड की सबसे बड़ी फिल्म दो करोड़ रुपए के बजट से गोरिया तोर किरिया बनाया गया था. फिल्म बहुत ही दमदार था लेकिन दर्शक नहीं मिल सका, जिससे इतनी बड़ी बजट की फिल्म धरा शाही हो गई और झॉलीवुड पीछे चला गया.
हालांकि राज्य की सरकार लगातार बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं लेकिन मुकम्मल कलाकार होते हुए भी सिनेमा के इंडस्ट्री में काम करने के बदले उचित भुगतान नहीं किया जाता है. जिसके वजह से झारखंड के बेहतरीन कलाकार झॉलीवुड के बजाय भोजीवुड और बॉलीवुड में अपना ऑडिशन देना शुरू कर देते है।
2014 के बाद बॉलीवुड और भोजीवुड की कई फिल्में झारखंड के लोकेशन में शूट हुई है, क्योंकि यहां महज 400 से 500 रुपये में छोटे मोटे रोल के लिए कलाकार मिल जाते हैं और झॉलीवुड को बढ़ावा देने के लिए मुफ्त में बेहतरीन लोकेशन उपलब्ध कराई जाती है. बॉलीवुड और भोजीवुड की बड़ी बजट की फिल्मों के लिए छोटे से छोटे कलाकार को एक दिन के 2 से 2.5 हजार रूपये भुगतान किए जाते हैं, लेकिन बिचौलिए और झारखंड का झॉलीवुड का सिस्टम उसे खा जाते हैं, यही कारण है कि स्थानीय कलाकार मुंबई का रूख कर लेते हैं।
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