Jharkhand Politics News: झारखंड में भाजपा की सहयोगी की भूमिका निभा रही आजसू पार्टी को नए मुद्दे की तलाश है. 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति तथा ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण लागू कर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आजसू से दोनों बड़े मुद्दे छीन लिए, जिसके बाद यह पार्टी अपने शेष मुद्दों पर फोकस कर रही है. कुछ अन्य संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं. खतियान आधारित स्थानीय नीति तथा ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करना आजसू पार्टी का बड़ा मुद्दा था. पार्टी इन दोनों के आधार पर पर अपनी राजनीति करती रही है. अब यह पार्टी जातीय जनगणना और निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण का बड़ा मुद्दा बनाने का कोशिश कर रही है। इन दोनों विषयों पर राज्य सरकार ने अभी तक काेई पहल नहीं की है. इसका लाभ उठाते हुए आजसू इन दोनों मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के प्रयास में है.
दरअसल, आजसू बिहार की तरह राज्य में भी जातीय जनगणना की मांग कर रही है. आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो (President Sudesh Mahto) का यह भी कहना है कि सरकार को ओबीसी के आरक्षण की सीमा बढ़ाने से पहले जातीय जनगणना कराना चाहिए था. पंचायत चुनाव की तरह राज्य के ओबीसी समुदाय नगर निकाय चुनाव में आरक्षण के लाभ से वंचित न रह जाए.
हालाकिं, झारखंड में इस वर्ष के अंत में या अगले वर्ष के पहले या दूसरे माह में नगर निकाय चुनाव संभावित है, ऐसे में पार्टी इसे बड़ा म़ुद्दा बना सकती है. सरना धर्म कोड भी मुद्दा रहा है. हालांकि सरना धर्म कोड अब केंद्र के पाले में है, सो आजसू का कोशिश है कि एक शिष्टमंडल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (President Draupadi Murmu) से मिलकर यह मांग रख सके.
वहीं, आजसू ने पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के तहत गिरिडीह संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था और जीत भी हासिल हुई थी. ऐसे में पार्टी की नजर साल 2024 में होनेवाले लोकसभा चुनाव की ओर भी है. फिलहाल पार्टी उन मुद्दों को तलाश रही है, जिसके भरोसे लोकसभा के साथ-साथ अगले विधानसभा चुनाव में भी मजबूती के साथ मैदान में उतरा जा सके.
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