Chatra: बूढ़ा पहाड़ से नक्सलियों का सफाया के बाद नक्सल गढ़ के रूप में बदनाम झारखंड के चतरा की पहचान बदलने की कवायद शुरू हो चूकि है. झारखंड-बिहार बॉर्डर पर स्थित नक्सल गढ़ कौलेश्वरी जोन से माओवादियों नक्सलियों का पूरी तरह सफाया को लेकर पुलिस ने ऑपरेशन कौलेश्वरी (Operation Kauleshwari) लॉन्च कर दिया है. एसपी राकेश रंजन (SP Rakesh Ranjan) के नेतृत्व में CRPF 190 बटालियन के कमांडेंट मनोज कुमार और SDPO अविनाश कुमार की टीम जंगल के चप्पे चप्पे को छान रही है, ताकि छिपे उग्रवादियों को तलाशा जा सके. अभियान के दौरान टीम कोलेश्वरी जोन के सबसे प्रभावित इलाके गड़िया, अमकुदर व सहोर समेत एक दर्जन गांवों में सड़कों का निर्माण भी करा रही है.
फोर्स ने संवेदकों की सुरक्षा और शत-प्रतिशत विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए गड़िया में CRPF का अस्थाई कैंप भी स्थापित किया है, ताकि न सिर्फ इलाके से नक्सलियों का सफाया हो बल्कि आम लोगों को विकास योजनाओं से जोड़ा जा सके. नक्सल गतिविधि के कारण जिन इलाकों में अब तक सरकार की विकास योजनाएं नहीं पहुंच सकी थी. वहां घने जंगलों और पहाड़ों को काटकर चकाचक सड़क निर्माण के अलावे मूलभूत सुविधाएं बहाल करने की दिशा में भी सुरक्षा बलों ने सार्थक पहल की है.
एसपी राकेश रंजन ने कहा कि नक्सलियों के एक दस्ते का लंबे वक्त के बाद झारखंड-बिहार सीमावर्ती इलाकों में विचरण करने की सूचना प्राप्त हो रही थी. वह इस इलाके में छोटी बड़ी घटना को अंजाम देकर फिर से अशांति ना फैला सके इसे लेकर CRPF और जिला बल के जवानों को जंगलों में जाकर उनके दांत खट्टे करने का निर्देश दिया गया है. अधिकारी व जवान पगडंडियों के सहारे नदी-नाला पार कर पथरीले रास्ते बाईक चलाकर गड़िया पहुंचे थे. एसपी ने कहा कि नक्सली किसी भी परिस्थिति में समाज और विकास के लिए बेहतर नहीं हो सकते. वे खुद को समाज और आम लोगों का हितैषी बताते हैं. लेकिन उनके वजह ही आज न सिर्फ विकास से महरूम है बल्कि योजनाएं भी धरातल पर नहीं उतर पाती. वहीं, एसपी राकेश रंजन ने नक्सलियों को चेताते हुए कहा है कि या तो वे हथियार डालकर पुलिस के आत्मसमर्पण नीति (Surrender Policy) का फ़ायदा उठाएं या फिर गोली खाने के लिए तैयार रहें.
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