गढ़वा: झारखंड के गढ़वा थाना अंतर्गत ओबरा गांव में आदिवासी परिवार की 10 साल की बच्ची को उसके गांव के ही शख्स ने बेरहमी से पीटकर अधमरा कर दिया. इसके बाद उसे ओबरा में ही सुनसान स्थान पर NH 343 पर गाड़ियों से कुचलने के लिए फेंक दिया. लेकिन एक बस ड्राइवर की सूझबूझ से बालिका की जान बच गई. घटना गुरुवार की है. बालिका का गढ़वा सदर अस्पताल में इलाज चल रहा है.
वहीं, प्राप्त जानकारी के अनुसार, बच्ची के पिता बाहर काम करने गए हैं. मां गढ़वा में प्रतिदिन आकर दिहाड़ी मजदूर का काम करती है. मां के मुताबिक गुरुवार सुबह करीब 8 बजे वह मजदूरी करने के लिए गढ़वा जाने लगी तो अपनी बेटी को 1140 रुपये स्वयं सहायता समूह के कर्ज का किस्त जमा करने के लिए देकर गई. इसके अलावा उसने मजदूरी करके और समूह से ऋण लेकर 50 हजार रुपये जमा कर घर में रखे थे. पैसे निकालने के बीच बच्ची के साथ उसकी सहेली भी वहीं मौजूद थी. मां के घर से चले जाने के करीब आधा घंटा बाद बच्ची ने अपनी सहेली को घर से जाने को कह दिया. घर के दरवाजे में कुंडी चढ़ाकर बिना ताला बंद किए ही 1150 रुपये स्वयं सहायता समूह में जमा करने चली गई.
इस बीच सहेली ने बच्ची के घर का दरवाजा खोलकर 50000 रुपये निकाल लिए. तब तक वहां बच्ची पहुंच गई तो उसे देखकर सहेली भागने लगी. बच्ची ने बताया कि वह भी सहेली के पीछे पीछे उसके घर तक चली गई. वहां सहेली के पिता ने बच्ची की डंडे से पिटाई कर दी. इतना पीटा की वह अधमरा हो गई. इसके बाद बच्ची को सुनसान सड़क पर फेंक दिया. लेकिन एक बस चालक ने बच्ची को बेहोश स्थिति में देखकर उसे सड़क से हटा दिया. फिर एक ग्रामीण के माध्यम से घरवालों को जानकारी दी. इसके बाद बच्ची के दादा और दादी वहां पहुंचे. बच्ची को लेकर घर आए. इसके पश्चात बच्ची की मां को पड़ोसियों की मदद से फोन कर घर बुलाया गया. इसके बाद बच्ची को इलाज के लिए गढ़वा सदर अस्पताल लाकर भर्ती कराया गया. गढ़वा सदर अस्पताल में इलाजरत बच्ची की हालत स्थिर बनी हुई है.
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