झारखंड में 30 साल पहले पड़े अकाल जैसी स्थिति उत्पन्न, किसान और पशु दोनों पानी के लिए तड़प रहे हैं: बादल पत्रलेख

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There was a famine-like situation in Jharkhand 30 years ago: Badal Patralekh
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Palamu: अनियमित मॉनसून, सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख (Agriculture Minister Badal Patrlekh) ने कहा कि झारखंड में अकाल को लेकर 30 साल पहले जो परिस्थितियां पैदा हुई थी और अधिकारियों ने जो आकलन किया था, उसी तरह के स्थिति वर्तमान की परिस्थितियां बन रही है. यानि एक बार फिर से झारखंड में 1992-93 जैसे अकाल की आशंका है. अगले 10 दिनों में अच्छी बारिश नहीं होती है तो स्थिति चुनौतीपूर्ण होने वाली है. बता दें कि पलामू प्रमंडल में बारिश के हालात को लेकर मंत्री बादल पत्रलेख ने शुक्रवार को गढ़वा पलामू का औचक निरीक्षण किया.

पलामू में मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य में बारिश के हालात को लेकर और खासकर पलामू प्रमंडल के हालात को लेकर वे चिंतित हैं. गुरुवार को विभागीय समीक्षा के दौरान उन्होंने पाया कि पलामू प्रमंडल के हालात चुनौतीपूर्ण हैं, जिसके बाद उन्होंने इलाके में निरीक्षण का फैसला लिया. उन्होंने तीनो जिलों के अधिकारियों से हालात से निबटने के लिए एक एक्शन प्लान मांगा है.

उन्होंने बताया कि 2017 में भी पलामू के कई प्रखंडों को सुखाड़ घोषित किया गया था, लेकिन मामले में देरी के वजह से केंद्र सरकार ने मुआवजा देने को लेकर सुस्ती अपनाई थी और किसानों को राहत नहीं मिल पाया था. इस बार उन्होंने अधिकारियों को वक्त पर सभी रिपोर्ट और प्रतिवेदन तैयार करने को कहा है. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि झारखंड में बारिश के हालात को लेकर 26 जुलाई को सभी एक्सपर्ट के साथ वह बैठक करेंगे. बैठक में सभी विभागों के प्रमुख मौजूद रहेंगे. उन्होंने कहा कि पलामू और गढ़वा की हालात चुनौतीपूर्ण है. जिलों में औसत से 83 प्रतिशत कम बारिश होने के कारण अब तक एक प्रतिशत भी धनरोपनी नहीं हो पाई है. किसान और पशु दोनों पानी के लिए तड़प रहे हैं. गढ़वा में एक प्रतिशत जबकि पलामू में एक प्रतिशत से भी कम धनरोपनी हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार पूरे हालातों पर नजर रखे हुए है, एक्सपोर्ट की रिपोर्ट और अधिकारियों की रिपोर्ट के बाद सुखाड़ घोषित करने और राहत के लिए कदम उठाए जाएंगे.

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि पलामू प्रमंडल के तीनों जिलों से पुराने बांधों को मरम्मत के लिए अधिकारियों से एक्शन प्लान मांगा गया है. उन्होंने कहा कि पलामू जिला के पास कोई भी अतिरिक्त फंड नहीं है. पलामू डीसी से पूरे मामले में पुराने बांधों को जीर्णोद्धार करने आपदा प्रबंधन को लेकर एक एक्शन प्लान मांगा है. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि पलामू प्रमंडल में बारिश नहीं होने के कारण स्थिति विकट है, 30 वर्ष पहले पलामू में रेलवे वैकेंसी मवेशी कोरियर चारा पहुंचा था, जबकि रेलवे टैंकर से भी पानी मंगवाया गया था. अगले 10 दिनों में बारिश नहीं हुई तो स्थिति इसी तरह होने की आशंका है. राज्य की सरकार पूरे मामले को लेकर गंभीर है और हर एक बिंदु पर नजर रखी जा रही है. पलामू प्रमंडल में 1992-93 में भीषण अकाल पड़ा था, हालात को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को आना पड़ा था. वहीं, मंत्री बादल पत्रलेख ने किसानों से राज्य फसल राहत योजना में रजिस्ट्रेशन करवाने की अपील की है, ताकि सुखाड़ जैसे स्थिति में किसानों को मुआवजा मिल सके. इस योजना के माध्यम से 30 से 40 प्रतिशत तक फसलों के नुकसान होने पर प्रति एकड़ तीन 3000 रुपये से अधिकतम 15000 रुपये मुआवजे का प्रावधान है. जिन किसानों के पास जमीन के कागजात नहीं है वह भी इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. रजिस्ट्रेशन पूरी तरह से ऑनलाइन (Online) होगा.

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