Politics In Jharkhand: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केंद्र को लिया निशाने पर, कहा- राज्य का बकाया लौटा दे तो भारत सरकार भीख मांगती नजर आएगी

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When development picked up pace in the state, investigative agencies were put behind: Hemant Soren
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Ranchi :मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) ने एक बार फिर से केंद्र और भाजपा को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि वे गुरूजी के बेटे हैं, उनके करनी और कथनी में कोई अंतर नहीं है. मैं भले आज CM के रूप में हूं पर मेरी पहचान आंदोलनकारी के बेटे के रूप में है. ये पहचान मेरी सबसे बड़ी पहचान है. पता नहीं मेरे प्रतिद्धंवदियो को उनसे क्या परेशानी है. जब चुनावी राजनीति में नहीं सके तो अब केंद्रीय जांच एजेंसियो के माध्यम से उन्हें काम करने से रोका जा रहा है. उन्होंने फिर केंद्र को निशाने पर लेते हुए कहा कि आजादी से आज तक खनन के बकाए केंद के पास है. एक लाख 36 हजार करोड़ बकाया है. इसमें केवल 1200 करोड़ के करीब ही मिल सका है. अगर केंद्र राज्य का बकाया लौटा दे तो भारत सरकार भीख मांगती नजर आएगी. अगर ब्याज ही दे दे तो अपना राज्य देश का सबसे बड़ा व समृद्ध राज्य में शामिल हो जाएगा. यह बातें आज सीएम ने प्रोजेक्ट भवन में आयोजित झारखंड आंदोलनकारियों के चिन्हितीकरण को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही. कार्यक्रम में JMM प्रमुख शिबू सोरेन (Shibu Soren), कृषि मंत्री बादल पत्रलेख (Badal Ptrlekh), विधायक सुदिव्य कुमार सोनू सहित कई अफसर मौजूद थे.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इस राज्य में ऐसे ऐसे लोग कुर्सी पर बैठे जिनको अलग राज्य की लड़ाई से कोई मतलब नही था. हम एक एक बात का जवाब देंगे. हमने कई तरह से राज्य हित मे फैसला लिया. हमारे प्रतिद्वंद्वी को किस बात का डर है हम जानते है. इनको लगता है कि ये लड़का ज्यादा दिन कुर्सी पर रह गया तो उनके दिन लद जाएंगे. हम अधिकार की लड़ाई में पीछे नही हटते हैं.

उन्होंने कहा कि लंबे आंदोलन के बाद अलग राज्य मिला. किन मुसीबतों से आंदोलनकारियों ने ये लड़ाई लड़ी है. जब गुरुजी ने अलग राज्य की बात कही थी तो लोग इस बात की हंसी उड़ाते थे. जैसे देश की आजादी की कहानी है वैसे ही इस राज्य की आजादी की कहानी है. इनलोगों ने सपनो को साकार किया. घर परिवार नौकरी छोड़ लोगो ने आंदोलन किया. राज्य मिला पर इन्हें इनकी पहचान नही मिला. मात्र 2 हजार लोगों को पेंशन मिलता है यह गलत था. चिन्हितिकरण की प्रक्रिया इतनी जटिल थी कि लोग परेशान थे. हमने नए सिरे से चिन्हितिकरण का काम शुरू किया. आंदोलन के पहली पंक्ति से आखरी पंक्ति तक के लोग चिन्हित होंगे. ये कार्यक्रम पहले होना था मगर आचार संहिता के वजह से नही हुआ. हम राज्य को हर क्षेत्र में लोगों को दुरुस्त कर रहे है. उन्होने कहा कि 32 साल से नियुक्ति नहीं हुई थी. परसो कृषि विभाग (Agriculture Department) में नियुक्त किया गया. हम पेंशन राशि बढ़ा चुके हैं.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आगे कहा कि अब झारखंड में झारखंड आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को साढ़े तीन हजार से लेकर 7 हजार रूपया तक पेंशन दिया जाएगा. जेल में या आंदोलन में मारे गए झारखंड आंदोलनकारियों को नौकरी मिलेगा. 5 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा. वहीं, मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोयला, लौह अयस्क, बालू, गिट्टी आदि के निलामी पर भी कहा कि झारखंड के कितने लोग इन खदानों के मालिक हैं. यह सोंचने की बात है. इसके लिए सरकार ने ऐसे कानून बनाना शुरू कर दिया है कि अब इस राज्य के खनिज संपदा का मालिक सबसे पहले राज्य सरकार होगी. पहले यहां के लोगों का पेट भरेगा, उसके बाद किसी को देंगे. क्योंकि अब तक यहां के लोगों को बचा-खुचा मिलता था और मूल चीज वे खाते थे. यही तकलीफ प्रतिद्वंद्वियों को है.

CM सोरेन ने कहा कि जैसे-जैसे संसाधन बढ़ रहा है, वैसे-वैसे झारखंड वासियों के चेहरे पर खुशियां ला रहे हैं. सरकार का संकल्प है कि यहां एक-एक बुजुर्ग, विधवा, दिव्यांग को पेंशन दिया जाएगा. रोजगार सृजन योजना, फूलो-झानो योजना शुरू की गई है. मजदूरों के सम्मान में उनकी सुरक्षा के लिए भी सरकार ने कई कदम उठाया है. दूसरे राज्यों से सम्मान उन्हें वापस लाया गया है. जो सदियों के अत्याचार से दूसरे राज्यों में जाकर बसे हैं, उन्हें वापस लाने के लिए प्रयास किया जा रहा है. इस मौ के पर मुख्य अतिथि शिबू सोरेन, विशिष्ट अतिथि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कृषि मंत्री बादल, गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार, झारखंड आंदोलनकारी के अध्यक्ष दुर्गा उरांव, लोक गायक मधु मंसूरी, भुवनेश्वर महतो, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का व सचिव विनय कुमार चौबे।

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