झारखंड : गिरिडीह जिला के बगोदर प्रखंड अंतर्गत खेतको पंचायत का नीमाटांड़ टोला, जहां आज तक बिजली नहीं पहुंच सकी है। लेकिन गांव में बिजली ना रहने का मलाल यहां के लोगों को है। ग्रामीणों ने सरकार से बिजली की सुविधा फिर से शुरू किए जाने की मांग की है. जर्जर खंभे व तार में बिजली कब दौड़गी इसका इंतजार ग्रामीणों को बेसब्री है।
एक तरफ प्रदेश के विकास की बात की जा रही है, हर घर को रोशन करने के लिए तमाम तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन इन दावों की जमीनी सच्चाई कुछ ऐसी है कि जिससे मुंह नहीं फेरा जा सकता है। आज भी लोग अंधेरे में रहने को मजबूर हैं। गिरिडीह के बगोदर प्रखंड अंतर्गत खेतको पंचायत के नीमाटांड़ एक ऐसा टोला है जहां के लोगों को अब बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है। हर रोज गांव में लगे बिजली के खंभे और तार को ग्रामीण इस आस से निहारते हैं कि इससे किसी दिन बिजली उनके घरों तक जरूर आएगी।
हालांकि, नीमाटांड़ के लोगों को उनके घर रोशन होने का बेसब्री से इंतजार है। बिजली के अभाव में जहां बच्चों की रात की पढ़ाई खण्डित रह रही है। वहीं ग्रामीणों को मोबाइल चार्ज करने सहित अन्य परेशानियों से जुझना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया है कि बिजली नहीं रहने के कारण महिलाओं को शाम ढलने से पूर्व खाना बनाने एवं परिजनों को खाना खाकर सोना पड़ता है। इधर केरोसिन का भी वितरण PDS दुकानदारों के द्वारा कभी-कभार ही किया जाता है। जिससे घर में रोशनी करना मुश्किल हो जाता है।
वहीं, नीमाटांड में 15 घरों के इस टोला में लगभग 100 परिवार रहते हैं। इन समस्याओं को लेकर खेतको पंचायत मुखिया शालीग्राम प्रसाद बताते हैं कि 3 वर्ष पूर्व बिजली विभाग के द्वारा यहां बिजली पहुंचाने की पहल की गई। उस वक़्त बिजली के खंभे और उसमें तार लगाए गये थे मगर किस कारण बिजली नहीं पहुंचाई गयी इस बात की जानकारी ग्रामीणों को भी नहीं है। उन्होंने बताया है कि पिछले साल वो जब मुखिया चुने गये तब बिजली विभाग को पत्र लिखकर इस टोला में विद्युत आपूर्ति की मांग की थी मगर बिजली विभाग ने मामले में गंभीरता नहीं दिखाई। नतीजन ग्रामीणों को बिजली सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा है कि टोला में बिजली व्यवस्था बहाल हो इसके लिए वो प्रयासरत हैं।
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